रायपुर : मानसून की पहली बारिश और उमस का मौसम सरई बोड़ा की उपज के लिए आदर्श समय होता है। मशरूम परिवार का यह अद्वितीय सदस्य हर साल जंगलों से निकलकर बाजारों में पहुंचता है। पोषक तत्वों से भरपूर और स्वादिष्ट सरई बोड़ा की मांग व कीमत हमेशा उच्च रहती है। सरई बोड़ा सब्जी बाजार में टमाटर को पीछे छोड़ते हुए अब शीर्ष पर है। इसकी मांग और आपूर्ति के बीच गहरी खाई है, जिससे कीमतों में गिरावट की संभावना कम है।
इसका प्रमुख कारण यह है कि सरई बोड़ा की खेती संभव नहीं है, यह केवल प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है। सरई बोड़ा मशरूम परिवार का एक अनोखा सदस्य है, जो जमीन की सतह पर उत्पन्न होता है। साल वृक्ष की सूखी पत्तियों के नीचे पनपने वाला यह मशरूम आदिवासी क्षेत्रों की महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक है और उनकी आजीविका का भी साधन है।
मौसम की बड़ी भूमिका
पहली मानसून की बारिश के बाद उमस का दौर शुरू होता है। इस मौसम में साल के वृक्ष एक विशेष द्रव्य छोड़ते हैं, जो सूखी पत्तियों के नीचे गिरकर फंगस का रूप लेता है। यही फंगस आगे चलकर सरई बोड़ा का रूप धारण करता है।
खेती संभव नहीं
सरई बोड़ा फंगस की एक विशेष प्रजाति है, जिसकी खेती करना संभव नहीं है। जून और जुलाई के महीने में मात्र 35 दिनों के लिए यह उपलब्ध होता है। यह फंगस जमीन के ऊपर उत्पन्न होता है और वजन में हल्का होता है।
पोषक तत्वों से भरपूर
अनुसंधान से प्रमाणित हुआ है कि सरई बोड़ा में प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं। इसमें कार्बोहाइड्रेट की भी भरपूर मात्रा होती है, जो कुपोषण और पेट की बीमारियों को दूर करने में सहायक हैं। इसके साथ ही हृदय रोगों के लिए भी यह फायदेमंद है।