दुर्ग। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार आलम किस तरह से घुल चुका है, इसका हालिया उदाहरण राजनांदगांव जिले में दिखाई दिया। जब भ्रष्टाचार से तंग आकर जिले की एक महिला विधायक को अपने गले का मंगलसूत्र उतारकर देने की नौबत आ गई। मामला आरटीओ विभाग से जुड़ा हुआ है।कई शासकीय विभागों में भ्रष्टाचार इस कदर हावी हो गई है कि पीड़ित को अपने घर-बार बौचने की नौबत भी आन पड़ती है।
ऐसा ही एक मामला राजनांदगांव जिले में आया है जहां दुर्ग के आरटीओ विभाग की कार्रवाई और भ्रष्टाचार के चलते जिले की एक महिला विधायक को अपने सोने का मंगलसूत्र उतारकर देना पड़ गया। दरअसल, राजनांदगांव जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत एक किसान दुलचंद राजनांदगांव में धान बीज लेने अपने पिकअप वाहन से पहुंचा हुआ था। इस दौरान धान बीज लेकर जब वह किसान अपने घर जा रहा था, तो उसी समय जिले के जंगलपुर के समीप आरटीओ विभाग दुर्ग फ्लाइंग स्कॉट द्वारा उक्त किसान के वाहन को ओवरलोड बताकर रोका गया।
विधायक का आरोप है कि इस किसान के वाहन को ओवरलोड बताकर 42,000 रूपये का चालान कर दिया गया, जबकि मौखिक रूप से गाड़ी छोड़ने के लिए 52,000 रुपयों की डिमांड की गई।किसान ने जब इस बात की सूचना विधायक को दी तो विधायक राजनांदगांव आरटीओ दफ्तर पहुंच गई। यहां विधायक ने दुर्ग कि किसी महिला आरटीओ अधिकारी से बात की, लेकिन महिला आरटीओ अधिकारी ने रुपए देने पड़ेंगे कहा।
जिसके बाद खुज्जी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक छन्नी साहू ने 52,000 रूपये नहीं होने का हवाला देते हुए, अपने गले का मंगलसूत्र उतार कर राजनंदगांव आरटीओ दफ्तर के टेबल पर रख दिया और इस मंगलसूत्र को बेचकर चालान के पैसों की भरपाई करने और शेष पैसे बच जाने पर रुपए वापस कर देने की बात कह कर वहां से निकल गई।विधायक छन्नी साहू ने कहा कि मेरे क्षेत्र का किसान जो मेरा कार्यकर्ता भी है। उससे 42,000 रूपये का चालान ओवरलोड के नाम पर काटा जा रहा था, लेकिन किसान से रुपए नगद 52,000 मांगे जा रहे थे। रुपए नहीं होने पर मैंने अपना मंगलसूत्र उतार कर आरटीओ विभाग को सौंप दिया है।विधायक ने नगद राशि नहीं होने का हवाला देकर अपना मंगलसूत्र आरटीओ विभाग में छोड़ दिया।
इस मामले की खबर जब विभागीय अधिकारियों को लगी,तो खलबली मच गई। इसके बाद देर रात तक विभागीय अधिकारी, कर्मचारी विधायक का मंगलसूत्र लौटाने प्रयास करते रहे थे। लेकिन विधायक अपने गांव चली गई। इस पूरे मामले से यह साफ होता है कि आरटीओ दफ्तर में भ्रष्टाचार किस कदर हावी हो गई है। जब एक विधायक को इसकी भरपाई के लिए अपना मंगलसूत्र उतार कर देना पड़ सकता है, तो फिर आम आदमी की हालात की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती।