नई दिल्ली:- किचन को अक्सर घर का दिल कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर में की गई कुछ मामूली गलतियां आपके जीवन में आर्थिक संकट, कर्ज, कलह और मानसिक अशांति तक ला सकती हैं?
वैदिक ज्योतिष और वास्तु विशेषज्ञ आदित्य झा के अनुसार रसोईघर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बेहद जरूरी होता है. यदि रसोई में अग्नि, जल, अनाज और बर्तन से जुड़ी वस्तुओं को वास्तु अनुसार न रखा जाए, तो घर में दरिद्रता और पारिवारिक तनाव बढ़ सकता है.
रसोई से जुड़ी कुछ अहम वास्तु गलतियां और उनके दुष्परिणाम
- गलत दिशा में रसोई: वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा (अग्निकोण) में होना चाहिए. यदि रसोई उत्तर-पूर्व दिशा में बनी हो, तो इससे आर्थिक हानि, कर्ज और पारिवारिक विवाद बढ़ सकते हैं.
- तेल के कंटेनर को उल्टा या खुला न रखें: तेल विशेषकर तिल का तेल शुक्र ग्रह से जुड़ा होता है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है. यदि तेल की बोतलें उल्टी या खुली रखी जाएं तो इससे फिजूलखर्ची, झगड़े और रिश्तों में दरार आ सकती है.
- नमक की बोतल का वास्तु: नमक को धन और स्थिरता से जोड़ा गया है. इसे हमेशा सीधे, साफ और सूखे स्थान पर बंद कंटेनर में रखें. प्लास्टिक के बजाय कांच या सिरेमिक कंटेनर का उपयोग करें.
- अनाज के कंटेनर खाली न रखें: चावल, गेहूं और दाल जैसे अनाज भरे और ढंके हुए कंटेनर में रखने चाहिए. खाली डिब्बे रखने से घर में अभाव और मानसिक चिंता बढ़ सकती है.
- दूध के बर्तन हमेशा ढके रहें: दूध चंद्रमा से जुड़ा होता है जो मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन दर्शाता है. दूध के बर्तनों को खुला या गंदा न रखें.
- खाली बर्तन उल्टे न रखें: रसोई में उल्टे या गंदे बर्तन रखने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है. इन्हें हमेशा साफ, सीधा और सूखा रखें.
- चूल्हा और पानी पास-पास न हों: जल और अग्नि विपरीत तत्व होते हैं. यदि चूल्हा और पानी की टंकी एक साथ हैं, तो उनके बीच कम से कम 3-4 फीट की दूरी रखें या लकड़ी का ब्लॉक बीच में लगाएं.
विशेषज्ञों की सलाह:वास्तु विशेषज्ञ मानते हैं कि रसोईघर केवल खाना पकाने की जगह नहीं, बल्कि पूरे घर की ऊर्जा और समृद्धि का स्रोत होता है. यदि इसमें वास्तु नियमों का पालन न किया जाए, तो परिवार को कर्ज, क्लेश और अशांति का सामना करना पड़ सकता है.

