कॉकरोच शब्द ही कुछ लोगों की रूह कांपने के लिए काफी है. रसोई या बाथरूम में कॉकरोच का दिखना ही उन्हें डराने के लिए काफी है. अक्सर आपने कॉकरोच को कभी सिंक के आसपास घूमते तो कभी पाइप के छेद में जाते देखा होगा. वहीं, जब आप किचन में जाते हैं तो भी कॉकरोच इधर-उधर भागते हुए दिखाई देते होंगे. हम सभी जानते हैं कि कॉकरोच जर्म्स फैलाने वाले जीव हैं जिन्हें अक्सर गंदगी से जोड़ा जाता है. लेकिन यही खतरनाक कीड़े अब लोगों के लिए अच्छी-खासी कमाई का जरिया बन रहे हैं. जी हां, दुनिया भर में कॉकरोच हैरान कर देने वाले दामों पर बिक रहे हैं, कुछ तो इन्हें “सोने जितना कीमती” भी कह रहे हैं. यकीन नहीं हो रहा ना? लेकिन यह बिल्कुल सच है.
कॉकरोचों की मांग अचानक क्यों बढ़ रही है
दरअसल, फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी में प्रकाशित एक पीयर रिव्यूड स्टडी में कॉकरोच से प्राप्त कंपाउंड की एंटीबैक्टीरियल और रिजनरेटिव्ह मेडिसिनल क्षमता को हाइलाइट किया है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि कॉकरोच के हीमोलिम्फ में मौजूद प्रोटीन घाव भरने में मदद कर सकते हैं और दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से लड़ सकते हैं, इससे पता चलता है कि ये कीड़े परेशानी के बजाय लाभ अधिक देता है. इस वैज्ञानिक मान्यता ने ग्लोबल लेवल पर कॉकरोच के बिजनेस के बढ़ावा देना शुरू कर दिया है.
कॉकरोचों का मूल्य उनकी असाधारण अनुकूलन क्षमता में निहित है. कॉकरोच पृथ्वी पर 5 मिलियन वर्षों से अधिक समय से रह रहे हैं और अब तक ज्ञात सबसे कठोर जीवों में से एक बन गए हैं. अक्सर इन्हें खतरनाक कीट माना जाता है, लेकिन वास्तव में ये कई देशों में एक भारी मांग वाला संसाधन हैं. कुछ जगहों पर तो इन्हें भोजन के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. इनमें हाई प्रोटीन कंटेंट और फास्टर फर्टिलिटी रेट के कारण, कॉकरोच-बेस्ड प्रोडक्ट्स और खाद्य पदार्थों की ग्लोबल मांग लगातार बढ़ रही है.
इन कॉकरोचों की वैल्यू बिजनेस वैल्यू से कहीं आगे जाती है. ये केवल गंदगी फैलाने वाले कीट नहीं, बल्कि पारंपरिक चीनी चिकित्सा, कॉस्मेटिक्स और बायोफ्यूल जैसे उद्योगों में एक मूल्यवान संसाधन भी हैं. इनसे दवाएं बनती हैं, कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स तैयार होते हैं और प्रोटीन का अच्छा सोर्स भी हैं, जो इनके आर्थिक और वैज्ञानिक महत्व को बढ़ाता है. फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी में प्रकाशित इसी अध्ययन से पता चलता है कि कॉकरोच से प्राप्त प्रोटीन में एंटीबैक्टीरियल और रिजनरेटिव्ह गुण होते हैं. दवा कंपनियां इन कंपाउंड्स को नई दवाओं के रूप में, विशेष रूप से एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी संक्रमणों के लिए, खोज रही हैं. यह चिकित्सीय क्षमता कॉकरोच बिजनेस की मांग और profitability को प्रभावशाली रूप से बढ़ाती है.
यह कॉकरोच पालन का तरीका
कॉकरोच के प्रजनन के लिए गर्म, अंधेरी और नम जगहें जरूरी हैं, क्योंकि ये परिस्थितियां उन्हें छिपने, खाने, प्रजनन करने और एक-दूसरे से संवाद करने में मदद करती हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ती है. कॉकरोच ठंडे खून वाले जीव होते हैं और गर्म तापमान में सक्रिय और प्रचुर मात्रा में रहते हैं. वे प्रकाश से भयभीत होते हैं और अंधेरे में सुरक्षित महसूस करते हैं, जो उन्हें रात में छिपने और बाहर निकलने के लिए प्रोत्साहित करता है. नम हवा में फेरोमोन (संचार रसायन) अधिक प्रभावी ढंग से फैलते हैं, जिससे कॉकरोच एक-दूसरे को ढूंढ पाते हैं, भोजन और साथी ढूंढ पाते हैं, और अधिक एक्टिव कॉलोनियां बना पाते हैं.
कॉकरोच बहुत उपयोगी जीव है
चीन एक आधुनिक देश है जहां तकनीक का व्यापक उपयोग होता है. तकनीकी प्रगति में जापान के बाद चीन दूसरे स्थान पर है. इसके परिणामस्वरूप उच्च अपशिष्ट उत्पादन होता है. कई रिपोर्टों से पता चलता है कि चीन में सालाना 6 करोड़ टन रसोई अपशिष्ट उत्पन्न होता है. यह अपशिष्ट कई खतरों से भरा होता है. इसके निपटान के लिए कॉकरोच का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही कॉकरोच का उपयो सौंदर्य उत्पादों, दवाइयों के निर्माण में भी किया जाता है. इनसे बनी दवाइयां पेप्टिक अल्सर, त्वचा पर चकत्ते, घाव और पेट के कैंसर के इलाज में मदद करती हैं. ये टूटी हड्डियों के कारण होने वाली सूजन को भी ठीक करने में मदद करते हैं. कॉकरोच हाई प्रोटीन वाला भोजन है. इनसे बने पाउडर का उपयोग ब्रेड, पास्ता और प्रोटीन बार में भी किया जाता है. इसके साथ ही इसे पशुचारा में भी उपयोग किया जाता है.
कॉकरोच पालन कैसे लोगों को बना सकता है अमीर
कॉकरोच बिजनेस यह दर्शाता है कि कैसे समझ और विज्ञान सबसे घृणित जीवों को भी वैल्युएबल रिसोर्स में बदल सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वैज्ञानिक ज्ञान और Professional perspective ने इन जीवों को उनकी पारंपरिक नकारात्मक धारणा से उपयोगी में बदल दिया है. लेबोरेटरी रिसर्च से लेकर विदेशी पालतू जानवरों के बाजार तक, इन कीड़ों ने अपनी कल्पना से परे अपनी उपयोगिता सिद्ध की है. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में कॉकरोच पालन लाभदायक हो सकता है और इसकी बढ़ती मांग लोगों को अमीर बना सकता है. कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि आने वाले दिनों में कॉकरोचों का दाम सोना के दाम से भी आधिक हो जा सकता है.

