नई दिल्ली :- तीनों एक ही गांव के रहने वाले हैं. छठी से दसवीं कक्षा तक साथ-साथ पढ़े थे. कारण तो पता नहीं चल पाया है, लेकिन तीन दिनों के अंदर तीनों के अलग-अलग आत्महत्या करने की घटना एक रहस्य बन गई है. ये घटना तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के अब्दुल्लापुरमेट मंडल के कोहेड़ा गांव में हुईं.
पुलिस के अनुसार, गर्या वैष्णवी (18) को पेट में दर्द था. इसके चलते मंगलवार शाम को उसके परिवार वाले उसे अस्पताल ले जाना चाहते थे. इसी बीच, वैष्णवी ने अपनी मां से कहा कि वह नहाने जा रही है और बेडरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया. हालांकि, जब वह कमरे में गई और काफी देर तक दरवाजा नहीं खोला, तो उसके माता-पिता को शक हुआ.
परिवार वालों ने दरवाजा खोलने के लिए कई बार आवाज लगाई. लेकिन, जब कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने कमरे का दरवाजा तोड़ा. अंदर जाकर देखा तो वैष्णवी पंखे से लटकी हुई थी. यह सुनकर परिवार के सभी सदस्य फूट-फूट कर रोने लगे. वहां मामम छा गया.
बाद में, वैष्णवी की मौत की खबर गांव में फैल गई. इसी बीच, उसके सहपाठी सताली राकेश (21) ने घर पर बताया कि वह बुधवार रात 10:30 बजे अपने घर के पास एक बंद कमरे में सोने जा रहा है. वह चादर ओढ़कर सो गया. गुरुवार सुबह 5 बजे, जब उसकी मां यादम्मा झाड़ू लगा रही थी. इसी दौरान शटर की तरफ गई. जब उसने कमरे के अंदर देखा, तो राकेश का शव फांसी से लटका मिला. वह अचानक चीखी इतने में उसका बड़ा बेटा वेंकटेश आ गया. जब उसने अपने छोटे भाई को नीचे उतारा, तो उसकी मौत हो चुकी थी. इसके साथ ही राकेश का पूरा परिवार शोक में डूब गया.
उसी गांव में बुद्ध नरसिम्हा नाम का एक और व्यक्ति रहता है. उसकी तीन बेटियां हैं. उसकी दूसरी बेटी श्रीजा (18) वैष्णवी और राकेश के साथ दसवीं कक्षा तक पढ़ी थी. नरसिम्हा गुरुवार सुबह 5 बजे ड्यूटी के लिए निकल गया. उस समय उसकी तीनों बेटियां सो रही थीं. सुबह 11.45 बजे, तीसरी दिव्यांग बेटी नंदिनी, पास में ही रहने वाले अपने भाई के पास गई और उसे इशारों से कुछ बताया.
जब वह पहुंचा, तो कमरा बंद था. दरवाजा तोड़ा गया तो श्रीजा फंदे से लटकी मिली. इससे पूरे इलाके में मातम छा गया. स्थानीय लोगों का कहना है कि चूंकि तीनों दोस्त थे, इसलिए एक-दूसरे की मौत को पचा न पाने के कारण उन्होंने यह क्रूरता की होगी.

