रायपुर :- रायपुर सहित पूरे देश में दीपों का पर्व दिवाली 20 अक्टूबर यानि सोमवार को मनाया जाएगा. इस दिन लोग इस पर्व में महालक्ष्मी की पूजा, आराधना करने के साथ ही हवन भी करते हैं. लक्ष्मी जी की पूजा आराधना के लिए मुहूर्त प्रदोष काल से शुरू होगी. प्रदोष काल में महालक्ष्मी की पूजा शाम को 5 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. पंडित के मुताबिक इस बार दिवाली में महालक्ष्मी पूजन के तीन मुहूर्त हैं. लोग इन तीन मुहूर्त में महालक्ष्मी की पूजा आराधना कर सकते हैं. दिवाली के दिन महालक्ष्मी की पूजा आराधना करने के बाद कुछ लोग हवन भी करते हैं.
दीवाली पूजन के तीन मुहूर्त : ज्योतिष एवं वास्तुविद् पंडित प्रिया शरण त्रिपाठी ने बताया कि 20 अक्टूबर यानि सोमवार के दिन दीपों का पर्व दिवाली मनाया जाएगा. इस दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. दीपावली के दिन अमावस्या की शुरुआत दोपहर 3 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी जो रात तक रहेगी. दिवाली के दिन प्रदोष काल का मुहूर्त शाम को शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. ऋषभ और स्थिर लग्न में महालक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त शाम को 7 बजकर 8 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. जो लोग लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं, उनके लिए मुहूर्त शाम को 7 बजकर 8 मिनट से लेकर 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस तरह से तीन मुहूर्त हैं.
अलक्ष्मी का करें विसर्जन : दिवाली के दिन जलाए गए दीयों को घर के चार कोनों में या फिर कमरे के चार कोनों में रखा जाना चाहिए. इसके बाद रात्रि में महालक्ष्मी के मंत्र जाप और पूरे विधि विधान से पूजा आराधना करें. इसके बाद हो सके तो हवन भी करना चाहिए. दिवाली के दूसरे दिन ब्रह्ममुहूर्त में सुबह 4 बजे नए सूपे और झाड़ू से अलक्ष्मी यानी कचरे का विसर्जन करें. स्नान करने के बाद महालक्ष्मी के पूजन के बाद व्रत का पारण करना चाहिए.
कौन हैं देवी अलक्ष्मी : शिवपुराण कथा के अनुसार समुद्र मंथन के समय सबसे पहले हलाहल नामक विष निकला था. जिसे भगवान शिव ने पी लिया. इसके बाद अमृत की उत्पत्ति हुई. जिसे मोहिनी रूप में भगवान श्री हरि विष्णु ने देवताओं को बांटा.हलाहल विष की बूंद से ही अलक्ष्मी का जन्म हुआ. इसी कारण से अलक्ष्मी को मां लक्ष्मी की बड़ी बहन माना गया है.

