कोरबा :- सरकारी नियमों को कैसे ठेंगा दिखाकर मनमानी की जाती है, इसकी बानगी देखनी है…..तो कोरबा चले आइये। यहां एसईसीएल प्रबंधन अपने अधिकारी और कर्मचारियों के लिए 8 से 9 मंजिला उंचे 23 टाॅवर का निर्माण करवा रहा है। लेकिन निर्माण से पहले इन बिल्डिंग्स का नक्शा न तोटाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से पास कराया गया और न ही इस निर्माण की सूचना नगर पालिका के जवाबदार अधिकारियों को दी गयी। बगैर वैधानिक अनुमति के तैयार हो रहे इन टावरों ने ना केवल एसईसीएल प्रबंधन की मनमानी बल्कि जवाबदार विभाग के अधिकारियों क उदासीनता की भी पोल खोल दी है।
गौरतलब है कि एसईसीएल की मेगा प्रोजक्ट में शामिल गेवरा-दीपका परियोजना लगातार खदान का विस्तार कर रही है। कंपनी खदान विस्तार के साथ ही अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के रहने के लिए महानगरों के तर्ज पर उंचे 6 से 8 मंजिला इमारत बनवा रही है, जिसमें पार्किंग भू तल पर अतिरिक्त है। यूं कहा जा सकता है कि 9 मंजिला इमारतें है। ऐसी कॉलोनी एसईसीएल कंपनी पहली बार बनवा रही है। लेकिन इन उंचे टाॅवरों के निर्माण में चौंकाने वाली बात ये है कि एसईसीएल प्रबंधन ने इनके निर्माण के लिए वैधानिक तरीके से नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से न तो नक्शा पास कराया गया और ना ही इस निर्माण की जानकारी नगर पालिका को दी गयी।
आपको बता दे कोरबा जिला में इससे पहले तक शासन द्वारा केवल ग्राउंड पार्किंग सहित 5 मंजिल निर्माण की ही अनुमति खदान क्षेत्र होने का हवाला देकर दी जाती रही है। बताया गया है कि ऐसे निर्माण में जमीन की विशालता का हवाला दे कर फ्लोर एरिया अनुपात को तय किया गया है। लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों के लिए सारे नियमों को स्थिल कर दिये जाते है। यहीं वजह है कि बिलासपुर संभाग में बालको द्वारा बनाए जा रहे सबसे ऊंचे रिहायशी भवन के लिए पार्किंग सहित 9 मंजिला टॉवर की अनुमति नगर तथा ग्राम निवेश विभाग और नगर निगम ने दे दी। दूसरी तरफ अब एसईसीएल प्रबंधन गेवरा और दीपका में तैयार कराये जा रहे 23 टाॅवरों के लिए नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से नक्शा तक पास कराना उचित नही समझा गया, जबकि निर्माण स्थल से एसईसीएल खदानों की दूरी काफी कम है।

