नागपुर:- मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित तौर पर जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है. दूसरी तरफ महाराष्ट्र मामले में डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि, 6 बच्चों की मौत कफ सिरप के सेवन से नहीं हुई है.
नागपुर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी है कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में इलाज करा रहे 13 बच्चों की मौत हो गई है. कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कुछ बच्चों की तबीयत कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने के बाद अचानक बिगड़ गई थी.
इनमें से कई बच्चों को गंभीर हालत में नागपुर के निजी अस्पतालों और मेडिकल अस्पतालों में भर्ती कराया गया था. हालांकि, उनमें से 13 की इलाज के दौरान मौत हो गई. अगस्त महीने में नागपुर में ऐसे मरीज आने शुरू हुए थे. नागपुर में अब तक 36 मामले सामने आ चुके हैं. खबर के मुताबिक, अब तक 19 बच्चों की मौत हो चुकी है. इन 19 बच्चों में से 13 मध्य प्रदेश और 6 महाराष्ट्र के हैं.
6 बच्चों की मौत कफ सिरप के सेवन से नहीं हुई
डॉक्टरों ने स्पष्ट किया है कि, महाराष्ट्र में 6 बच्चों की मौत कफ सिरप के सेवन से नहीं हुई. जांच में पता चला है कि मरीजों की मौत अंगों के काम करना बंद करने के कारण हुई. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूनों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की उच्च मात्रा पाई गई है. डाइएथिलीन ग्लाइकॉल एक जहरीला तरल है जिसका इस्तेमाल औद्योगिक उत्पादों में किया जाता है, जो बच्चों के गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता है.
मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित रूप से दूषित कफ सिरप पीने से कुछ बच्चों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है. इस घटना के बाद, जांच के दौरान कोल्ड्रिफ कफ सिरप के नमूनों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया. इसे देखते हुए, राज्य सरकारों ने इस सिरप की बिक्री पर तुरंत रोक लगा दी है. इसके अलावा, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने छह राज्यों में दवा निर्माता कंपनियों का निरीक्षण शुरू कर दिया है.
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बच्चों के लिए ‘कफ सिरप’ के विवेकपूर्ण उपयोग के संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं. नागपुर नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने नागपुर शहर के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को इन दिशानिर्देशों के पालन के संबंध में पत्र लिखा है. भारत सरकार ने दूषित ‘कफ सिरप’ के कारण कुछ बच्चों की मृत्यु के बाद इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किए हैं.
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने शहर के अस्पतालों को इन दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए हैं. भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, ‘छोटे बच्चों में खांसी की बीमारी अक्सर बिना दवा के अपने आप ठीक हो जाती है. इसके लिए, पर्याप्त आराम, खूब पानी पीना और अन्य गैर-औषधीय उपाय प्राथमिक उपचार के रूप में पर्याप्त हैं.
इसलिए, 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सर्दी-खांसी की दवा देने से बचना चाहिए. यदि आवश्यक हो, तो 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को सावधानीपूर्वक चिकित्सीय सलाह और निगरानी में ही सही खुराक में दवा दी जानी चाहिए. कई दवाओं के संयोजन से बचना चाहिए. भारत सरकार ने भी स्थानीय संगठनों के माध्यम से जनता से अपील की है कि वे केवल चिकित्सीय सलाह के अनुसार ही दवा लें.