नई दिल्ली:- आज से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो चुका है. यह पर्व नौ दिनों तक चलता है, जिनमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. प्रत्येक दिन देवी के एक विशेष रूप की आराधना के साथ उनका प्रिय भोग अर्पित करने की परंपरा है. ऐसा करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
काशी के प्रसिद्ध पुजारी पंडित अजय शुक्ला का कहना है, नवरात्र के दौरान केवल पूजा-अर्चना ही नहीं, बल्कि खाने-पीने की चीजों का भी विशेष ध्यान रखना आवश्यक है. इस अवधि में खान-पान पूरी तरह सात्विक होना चाहिए. प्याज, लहसुन, मांसाहार और मदिरा का सेवन सख्त वर्जित है. भक्त दिनभर उपवास करने के बाद रात्रि में भोजन तभी ग्रहण करें जब माता को उनका भोग अर्पित किया गया हो.
मां दुर्गा के नौ स्वरूप और उनके प्रिय भोग
मां शैलपुत्री – बादाम का हलवा और घी से बनी मिठाइयां
मां ब्रह्मचारिणी – मिश्री और शक्कर
मां चंद्रघंटा – खीर
मां कुष्मांडा – मालपुए
मां स्कंदमाता – केले
मां कात्यायनी – शहद या शहद से बने व्यंजन
मां कालरात्रि – गुड़ और गुड़ से बनी वस्तुएं
मां महागौरी – नारियल और नारियल से बने पकवान
मां सिद्धिदात्री – चना और हलवा-पूरी
मां दुर्गा को न लगाएं ये फल
शारदीय नवरात्र में माता रानी को भोग अर्पित करते समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए. गलती से भी नींबू, इमली, सूखा नारियल, नाशपाती और अंजीर का भोग न चढ़ाएं, क्योंकि इन्हें शुभ नहीं माना जाता. इसके अलावा जूठे या खराब फल भी माता को अर्पित करना वर्जित है.
मां दुर्गा को अर्पित करने योग्य फल
नवरात्रि के नौ दिनों में अनार, बेल, आम, शरीफा, सिंघाड़ा और जटा वाला नारियल जैसे फल माता को अर्पित करना अत्यंत शुभ और लाभकारी माना जाता है. ये फल न केवल पूजा को पूर्ण करते हैं, बल्कि भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करते हैं.