आज दुनियाभर में वर्ल्ड विटिलिगो डे यानी विश्व सफेद रोग दिवस मनाया जा रहा है. ऑटो इम्यून की वजह से होनेवाली इस बीमारी को लेकर दुनियाभर में फैली अलग-अलग तरह की भ्रांतियों को दूर करने के लिए 25 जून 2011 से हर साल दुनिया भर में वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी को लेकर मरीज, उनके परिजनों और समुदाय में जागरुकता लायी जा सके.
लोगों में भ्रांतियां है कि सफेद दाग या चरक होना न तो पूर्व जन्म के पापों का ईश्वरीय फल है और न ही खानपान में किसी गड़बड़ी की वजह से यह दाग होता है. यह संक्रामक रोग भी नहीं है. इसलिए चरक रोग से ग्रसित मरीजों से दूर रहने की जगह उनके साथ समझ और संवेदनशील व्यवहार की जरूरत है.
विटिलिगो यानी सफेद दाग रोग नहींः डॉ. प्रभात
इस संबंध में रिम्स चर्म रोग विभाग के एचओडी डॉ. प्रभात कुमार के अनुसार विटिलिगो यानी सफेद दाग रोग ही नहीं है, बल्कि त्वचा को रंग देने वाले पिगमेंट्स के डिस्टर्ब होने से ऐसा होता है. इसे हम ऑटो इम्यून डिजीज में रखते हैं. जिसमें पिगमेंट्स बनना बंद हो जाते हैं और त्वचा का रंग नॉर्मल की जगह सफेद हो जाता है.
भ्रांतियां दूर करने पर दिया जोर
रिम्स के चर्म रोग विभाग के हेड डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि इस बीमारी को लेकर अंधविश्वास और भ्रम को दूर करना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों में ये भ्रांतियां हैं कि यह छुआछूत है, सूरज भगवान की नाराजगी या मछली-दूध और नमक खाने से यह बीमारी हो जाती है, लेकिन सच यह नहीं है. उन्होंने कहा कि एक नॉर्मल चमड़ी है, जिसका सिर्फ रंग बदल जाता है. यह पीड़ित व्यक्ति के जीवन और उनकी कार्यक्षमता पर किसी भी तरह का कोई नकारात्मक असर नहीं डालता है.
सफेद दाग का कारगर इलाज मौजूद
रिम्स के चर्म रोग विभाग के हेड डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं कि हम लोगों को यही समझाते हैं कि त्वचा पर किसी भी तरह के दाग-धब्बे दिखे तो उसे छिपाएं नहीं. उन्होंने लोगों से अपील की कि सफेद दाग हो जाने पर नीम-हकीम के यहां जाने की बजाय योग्य डॉक्टरों के पास जाएं. उन्होंने बताया कि दवा, सर्जरी और फोटो थेरेपी से इसका 90% तक इलाज संभव है.
डॉ. प्रभात कहते हैं कि चरक या सफेद दाग होने पर बिना किसी तकलीफ के रंग बदलता है. उन्होंने बताया कि आनेवाले रविवार को रिम्स में वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा. जिसमें विटिलिगो के मरीजों की सर्जरी भी की जाएगी.
कई डॉक्टरों को दिखाया, पर बीमारी बढ़ती गई
चतरा से इलाज कराने रिम्स पहुंची मरीज धनईयां देवी ने कहा कि पहले मैं पूरी तरह ठीक थी. बिंदी लगाने वाले जगह से त्वचा पर सफेद दाग होना शुरू हुआ और यह बढ़ता गया. यह बीमारी कैसे हुई यह भगवान जाने, पर अभी तक चतरा, हजारीबाग और रांची के बहुत से डॉक्टर्स को दिखा चुकी हूं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है.
रिम्स में मनाया गया वर्ल्ड विटिलिगो डे
रिम्स के चर्म रोग विभाग में आज वर्ल्ड विटिलिगो डे मनाया गया. जिसके तहत मरीजों और उनके परिजनों में सफेद दाग या चरक को लेकर कई भ्रांतियां दूर की गई.
विटिलिगो या सफेद दाग क्या है
विटिलिगो(सफेद दाग या चरक) एक त्वचा से संबंधित डिसऑर्डर है. जिसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर मेलानिन नामक रंगद्रव्य बनना बंद हो जाता है. जिससे त्वचा पर सफेद दाग दिखने लगते हैं. मेलानिन जो त्वचा, बाल और आंखों को उनका प्राकृतिक रंग प्रदान करता है, जब मेलेनिन बनाने वाली कोशिकाएं किसी कारणवश नष्ट हो जाती हैं या अपना कार्य करना बंद कर देती हैं, तब त्वचा पर सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हैं,जिसे विटिलिगो कहा जाता है.
संक्रामक रोग नहीं है विटिलिगो
सफेद दाग या विटिलिगो कोई संक्रामक रोग नहीं है और न ही यह जानलेवा है, लेकिन इसके सामाजिक और मानसिक प्रभाव मरीज के मानसिक स्थिति पर जरूर पड़ता है.
सफेद दाग के कारण क्या-क्या हो सकते हैं
चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कहते हैं कि विटिलिगो यानी सफेद दाग होने का कोई सटीक कारण अभी तक चिकित्सा विज्ञान नहीं स्पष्ट कर पाया है लेकिन ऑटोइम्यून विकार इसका पहला कारण माना जाता है. इसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं ही मेलानोसाइट्स को नष्ट कर देती है. इस कारण विटिलिगो हो जाता है.
वहीं दूसरी वजह आनुवांशिकता है.डॉ प्रभात कुमार के अनुसार 20-22% जेनेटिकल यानी आनुवांशिक रूप में यह बीमारी देखने को मिल जाती है. यदि परिवार में किसी को विटिलिगो है,तो दूसरे सदस्य को भी यह होने की संभावना अधिक होती है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह बीमारी अगली पीढ़ी को भी हो. इसके अलावा कुछ ऐसी भी मान्यता है कि तनाव या आघात, अत्यधिक मानसिक तनाव, दुर्घटना, जलना या चोट, त्वचा का संक्रमण, त्वचा का रासायनिक संपर्क से भी यह बीमारी हो सकती है.
विटिलिगो के लक्षण और पहचान
त्वचा के रंग में परिवर्तन और धब्बे सा दिखना.
समय से पहले बालों या भौंहों का सफेद होना.
मुंह या नाक में टिश्यू के भीतरी परत का रंग बदल जाना.
होंठों या मुंह के आसपास रंगहीनता.
हथेली या तलवे पर पिगमेंटेशन कम होना.
यह लक्षण धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकते हैं. कभी-कभी ये धब्बे स्थिर रह सकते हैं, तो कभी तेजी से फैलते हैं. इस विश्व विटिलिगो दिवस पर डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि विटिलिगो में मरीजों का रंग बदला है, उनका जज्बा नहीं बदलता है.ऐसे में समाज का हर व्यक्ति यह संकल्प लें कि वह हर रंग का सम्मान करेंगे और हर रूप को अपनाएंगे.