इस बार पितृपक्ष में एक अद्भुत संयोग बन रहा है. पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित पितृपक्ष का दौर 7 सितंबर से 21 सितंबर तक रहेगा. इसी दौरान 19 सितंबर 2025, शुक्रवार को मासिक शिवरात्रि पड़ रही है. यह तिथि त्रयोदशी श्राद्ध के साथ संयोग बनाते हुए साधकों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्त्व रखती है.
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में की गई शिव आराधना से पितरों को तृप्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है. मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव का जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से न केवल पितृदोष का शमन होता है, बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि का भी संचार होता है. इस दिन उपवास व रात्रि जागरण करना विशेष फलकारी बताया गया है.
19 सितंबर को श्रद्धालु शिवलिंग पर जल, दूध, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाकर व्रत करेंगे. त्रयोदशी श्राद्ध के साथ यह संयोजन पितरों की शांति और आशीर्वाद पाने का उत्तम समय माना जाएगा. धर्मगुरुओं के अनुसार, इस दुर्लभ संयोग का लाभ लेने से पितृ और देव दोनों की कृपा एक साथ प्राप्त होती है. सर्वपितृ अमावस्या तक यह पुण्यकाल चलता रहेगा, जिसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा. अर्थात, पितृपक्ष में आने वाली यह मासिक शिवरात्रि पूर्वजों और भगवान शिव दोनों की कृपा पाने का अद्वितीय अवसर है, जिसे हर श्रद्धालु को साधना करनी चाहिए.