रिप्लेसमेंट मांग में तेजी के चलते भारतीय टायर उद्योग चालू वित्त वर्ष में करीब आठ प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज कर सकता है. हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि मूल उपकरणों की कम बिक्री के बावजूद यह बढ़ोतरी अनुमानित है. आगामी त्योहारी सीज़न, रेपो रेट में कटौती और अनुकूल मानसून के साथ-साथ, उपभोक्ताओं की सकारात्मक भावनाएं इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
JK Tyre एंड इंडस्ट्रीज के एमडी अंशुमान सिंघानिया ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि “भारतीय टायर उद्योग निर्यात-प्रधान मैन्युफेक्चरिंग क्षेत्र बना हुआ है, जिसका निर्यात वित्त वर्ष 2025 में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया.” उन्होंने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2026 में घरेलू टायर उद्योग में आठ प्रतिशत तक की वृद्धि की उम्मीद है.
समाचार एजेंसी हवाले से कहा कि, “वित्त वर्ष 2026 में, भारतीय टायर उद्योग को मूल उपकरण (OE) की कम खरीद के बावजूद मजबूत घरेलू प्रतिस्थापन मांग के बल पर 7 से 8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हासिल करने की उम्मीद है.”
उन्होंने इस बढ़ोतरी अनुमान का श्रेय क्षमता विस्तार में निरंतर निवेश, मैन्युफेक्चरिंग एफिशिएंसी में सुधार और अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को बढ़ाने पर बढ़ते ध्यान को दिया. सिंघानिया ने कहा कि, “आगामी त्योहारी सीज़न, हाल ही में रेपो रेट में कटौती और अनुकूल मानसून के लाभों के साथ, हमें उम्मीद है कि उपभोक्ता भावनाओं में और सुधार होगा.
वहीं दूसरी ओर, Apollo Tyres के सीएफओ गौरव कुमार ने भी इसी तरह की संभावना जताई है. गौरव ने कहा कि, “कंपनी को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में डिमांड में सुधार होगा, और मानसून के बाद बुनियादी ढांचे और खनन क्षेत्रों में तेज़ी आएगी.

