नई दिल्ली :- एक समय था जब लोग नंगे पैर चलते थे. लेकिन अब हममें से कई लोग बिना जूते पहने बाहर भी नहीं निकलते. कुछ लोग तो घर में भी चप्पल पहनते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि नंगे पैर चलने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं. टहलना या जॉगिंग करना सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है. लेकिन नंगे पैर चलने के अपने अलग फायदे हैं. बड़े-बुजुर्ग और डॉक्टर भी कहते हैं कि सुबह-सुबह घास पर नंगे पैर चलना चाहिए. बता दें, सिर्फ घास पर ही नहीं किसी भी सतह पर नंगे पैर चलना फायदेमंद होता है. जूते पहनकर चलने से पैरों में दर्द हो सकता है, जबकि नंगे पैर चलने से जोड़ मजबूत होते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं कि नंगे पैर चलने से क्या-क्या फायदे होते हैं…
दरअसल, नंगे पैर चलने को ग्राउंडिंग और अर्थिंग भी कहते हैं. विशेषज्ञ बताते हैं कि इससे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जानें क्या होता है अर्थिंग या ग्राउंडिंग ?
अर्थिंग या ग्राउंडिंग से मिलते है कई स्वास्थ्य लाभ
घर के अंदर या बाहर की सतहों पर नंगे पैर चलने के रीवाज को अर्थिंग या ग्राउंडिंग के रूप में जाना जाता है, अर्थिंग या ग्राउंडिंग वह प्रोसेस है जिसमें नंगे पैर घर के अंदर या बाहर की सतहों पर चलने से शरीर को पृथ्वी के प्राकृतिक विद्युत आवेशों से जोड़ा जाता है. यह माना जाता है कि पृथ्वी के नकारात्मक चार्ज शरीर में प्रवेश करते हैं, जिससे स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं. ग्राउंडिंग या अर्थिंग एक थेरापयूटिक तकनीक है, जो धरती से जुड़कर आपकी इलेक्ट्रिक एनर्जी को री एलाइन करता है. यह फिजिकल और मेंटल हेल्थ दोनों के लिए फायदेमंद होता है. जर्नल ऑफ इन्फ्लेमेशन रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इससे सूजन, दर्द कम होने के साथ-साथ तनाव घटता है और मूड बेहतर होता है. अर्थिंग सूजन, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, घाव भरने और पुरानी ऑटोइम्यून बीमारियों की रोकथाम और इलाज में भी फायदेमंद माना जाता है.
पैरों और टखनों को मजबूत बनाता है
साइंस डायरेक्ट की वेबसाइट के अनुसार, जिन लोगों को कोई ऑर्थोपेडिक समस्या नहीं है, उनके लिए नंगे पैर चलना या अर्थिंग करना पैर और टखने को मजबूत बना सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि नंगे पैर चलने से रक्त संचार बेहतर होता है. नतीजतन, पैरों और टांगों में सूजन कम होती है और वैरिकोज वेंस जैसी समस्याओं से बचाव होता है. अध्ययनों से पता चलता है कि इससे ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित रहता है. यह प्रक्रिया शरीर से अपशिष्ट को बाहर निकालने में मदद करती है. यह भी कहा जाता है कि इससे हाईल ब्लड प्रेशर और स्ट्रेस का रिस्क कम होता है और हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है.
यह जूते पहनकर चलने की तुलना में पैरों की मांसपेशियों को ज्यादा एक्टिव करता है और इस तरह व्यक्ति की चाल और संतुलन को भी बेहतर बनाता है. 2021 के एक अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों ने सहायक जूते से कम से कम जूते पहनना शुरू किया, उनमें 6 महीने की अवधि में पैरों की ताकत में 57.4 हुई की वृद्धि देखी गई
बेहतर नींद के लिए फायदेमंद
रात में बेहतर नींद के लिए नंगे पैर चलना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे हमारे शरीर में कॉर्टिसोल का स्तर कम होता है, जिससे नींद अच्छी आती है. इसके अलावा नंगे पैर चलने से स्लिप डिस्फंक्शन और पैरों के दर्द से भी राहत मिलती है. यही कारण है कि नंगे पैर चलने से हमें जमीन से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे हमारा तनाव कम होता है और हमें अच्छी नींद आती है.
इम्यूनिटी बूस्ट करने में मददगार
लोग अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए न जाने कौन-कौन से दवाएं और सप्लीमेंट्स लेते हैं, जबकि सिर्फ नंगे पैर चलने से ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है. नंगे पैर चलने से शरीर में व्हाइट सेल्स बढ़ते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत करने में मदद करते हैं.
अधिक उम्र के लोगों के लिए भी फायदेमंद
उम्रदराज लोगों को अक्सर पैरों में दर्द की शिकायत होती है, ऐसे में उनके लिए नंगे पैर चलना काफी फायदेमंद हो सकता है. दरअसल बुजुर्गों के लिए नंगे पैर चलना एक्यूपंचर का काम करता है, जिससे उनके पैरों सूजन और दर्द से काफी राहत मिलता है. इसके अलावा यह मसल्स में दर्द और जोड़ों के दर्द में भी आरामदायक होता है.
ब्लड फ्लो के लिए बेहतर
नंगे पैर चलने के कई फायदों में से एक यह भी है कि इससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है. इससे शरीर को छोटे-मोटे संक्रमण से बचाया जा सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शरीर में रक्त प्रवाह जितना बेहतर होगा, बीमारियों से बचने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है.
हार्मोनल स्वास्थ्य में सुधार
विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह कुछ देर नंगे पैर चलने से हार्मोनल स्वास्थ्य में सुधार होता है. 2018 में जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित द इफेक्ट्स ऑफ ग्राउंडिंग ऑन द ह्यूमन बॉडी: ए सिस्टमैटिक रिव्यू नामक अध्ययन में भी यह बात सामने आई थी. खास तौर पर, यह बात सामने आई है कि इस प्रक्रिया का स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह जैविक घड़ी को उत्तेजित करता है। नतीजतन, न केवल हार्मोनल फंक्शन में सुधार होता है, बल्कि ब्लड शुगर का स्तर भी नियंत्रित रहता है.