रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज दो-दो बार विपक्ष ने वाकआउट किया। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने सेंट्रल पूल में धान उपार्जन को लेकर स्थगन प्रस्ताव लाया। नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि पंजाब में डबल इंजन की सरकार नहीं है, उसके बाद भी पंजाब का सेंट्रल पूल में वहां ज्यादा खरीदी की गयी। ऐसे में छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार है। यहां कम क्यों लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर सेंट्रल पूल में कोटा नहीं बढ़ता तो सरकार को घाटा उठाना पड़ेगा।
वहीं राज्य सरकार को 8 हजार करोड़ रुपए का घाटा होगा। इस मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि डबल इंजन की सरकार कहते हैं, पर हमारा धान नहीं लिया जा रहा है। उभरते हुए राज्य के साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है। जवाब में मंत्री दयाल दास बघेल ने कहा कि 70 लाख टन धान उपार्जन की अनुमति दी गई है। FCI और नागरिक आपूर्ति निगम में 83.34 लाख टन चावल का उपार्जन किया जाना है। राज्य सरकार द्वारा धान के निराकरण के लिए 40 लाख मीट्रिक टन धान की नीलामी का निर्णय लिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार ने स्वयं स्वीकार कर लिया है. यह मामला पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ है, इसलिए प्रस्ताव को ग्राह्य कर चर्चा कराया जाये। लेकिन आसंदी ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। स्थगन प्रस्ताव के अग्राह्य होने के बाद सदन में नारेबाज़ी शुरू हो गयी। विपक्ष के विधायक गर्भगृह में पहुँचकर नारेबाज़ी करने लगे। गर्भगृह में पहुँचने की वजह से विपक्ष के विधायक स्वंयमेव निलंबित हो गये। जिसके बाद नारेबाज़ी करते हुए विपक्ष के विधायक सदन से बाहर निकल गये।
स्थगन प्रस्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया कि धान की नीलामी होगी, पिछले समय भी धान का निष्पादन नहीं हो पाया था। धान नीलामी से छग को करीब 8 हजार करोड़ का आर्थिक नुकसान होगा। छत्तीसगढ़ के खिलाफ केंद्र का यह उपेक्षापूर्ण रवैया है। भाजपा की चार इंजन की सरकार कुछ नहीं कर पाई है। आने वाले वर्ष में घाटा लगा तो धान खरीदी प्रभावित होगी। राज्य सरकार को केंद्र सरकार से धान खरीदने का अनुरोध करना चाहिए।
वहीं नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों, गरीबों को हक की राशि मिलनी चाहिए। 40 लाख मीट्रिक टन धान की नीलामी करने की घोषणा सरकार ने की। धान की नीलामी से करीब 8 हजार करोड़ रुपए का नुकसान छत्तीसगढ़ को होगा। सोच बदलने के लिए विपक्ष ने सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हुई इसलिए विपक्ष ने वॉकआउट किया।