रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य की 5 केंद्रीय जेलों से पेरोल पर छूटे करीब 70 बंदी अब तक फरार हैं, जो जेल प्रशासन के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है। पेरोल के दौरान एक निर्धारित समय के लिए कैदियों को जेल से बाहर जाने की अनुमति दी जाती है, लेकिन उनका समय पूरा होने के बाद उन्हें कोर्ट में हाजिर होना होता है, ताकि वे पुनः जेल में वापस भेजे जा सकें। हालांकि, इन कैदियों के मामले में बड़ी संख्या में लोग समय पर जेल नहीं लौटे हैं। इस स्थिति पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने तीखी टिप्पणी करते हुए डीजीपी जेल से ताजा रिपोर्ट शपथ पत्र के जरिए प्रस्तुत करने को कहा है।
पेरोल पर बाहर गए बंदियों का विवरण- छत्तीसगढ़ में कुल पांच सेंट्रल जेल हैं। जिसमें रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर और अंबिकापुर, जिनमें पेरोल पर भेजे गए बंदी बड़ी संख्या में वापस नहीं लौटे। इसके अलावा राज्य में 12 जिला और 16 उप जेल भी हैं। कुछ बंदियों को अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था, लेकिन इनकी वापसी के संबंध में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। अधिकांश बंदी कोर्ट से अपनी जमानत करवाकर बाहर निकल गए, जिससे उनके वापस आने की स्थिति भी अज्ञात है। रायपुर केंद्रीय कारागार से अब तक 7 बंदी पेरोल के बाद लौटने में नाकाम रहे हैं। इनमें से कुछ बंदी हत्या के मामले में सजा काट रहे थे और पांच दिसंबर 2002 से लेकर जनवरी 2024 तक पेरोल पर छोड़े गए थे।
हाई कोर्ट का सख्त रुख- छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि पेरोल पर गए बंदियों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए कारागार प्रशासन को कड़े कदम उठाने चाहिए। बीते महीने, कोर्ट की डबल बेंच ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता जताई और डीजीपी जेल से इस संदर्भ में ताजे विवरण की मांग की थी।
बिलासपुर और अन्य जेलों में फरार बंदी- बिलासपुर केंद्रीय जेल से भी 22 बंदी पेरोल के बाद वापस नहीं लौटे। जेल प्रशासन ने इनके परिवारों को बार-बार सूचित किया, लेकिन फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इसके बाद, जेल प्रबंधन ने संबंधित थानों को फरार बंदियों के बारे में सूचना दी, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
कोरोना काल में दी गई पेरोल पर विवाद- कोरोना महामारी के दौरान जब संक्रमण तेजी से फैल रहा था, जेल प्रशासन ने अच्छे आचरण वाले बंदियों को पेरोल पर बाहर भेजा था। हालांकि, महामारी के दौरान पेरोल की अवधि कई बार बढ़ाई गई, और अब यह समस्या उभरी है कि उन बंदियों की एक बड़ी संख्या अब तक वापस नहीं लौटी है। जेल प्रशासन की चिंताएं इस समय बढ़ गई हैं, क्योंकि फरार बंदियों का पता लगाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है।