नई दिल्ली : कुंडली में दोष दूर करने और जीवन में आने वाली परेशानियों से बचने के लिए कई लोग रत्न धारण करते हैं. मान्यता है कि रत्नों के प्रभाव से जातक के जीवन से दुख दूर हो जाते हैं. लेकिन, रत्न धारण करने के कुछ खास नियम-कायदे होते हैं. जिनकी अनदेखी करने से परेशानियां दूर नहीं बल्कि और बढ़ सकती हैं.
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कोई भी रत्न किसी भी उंगली में नहीं पहना जाता है. माना जाता है कि ग्रहों की स्थिति बेहतर करने के लिए भी रत्नों को सही उंगली में पहनना लाभकारी माना जाता है. आइए जानते हैं कौन सी उंगली में कौन सा रत्न पहनना होगा शुभ.
अंगूठा : ऐसा माना जाता है कि अंगूठा व्यक्ति की इच्छाशक्ति को दर्शाता है. आमतौर पर ये किसी विशिष्ट रत्न से जुड़ा नहीं होता है लेकिन इस उंगली में रूबी या गार्नेट पहनने की सलाह दी जाती है. हालांकि, कुछ लोग अपने अंगूठे पर बड़े रत्न या स्टेटमेंट पीस वाली अंगूठी पहनना पसंद करते हैं.
तर्जनी (पॉइंटर फिंगर) : तर्जनी को अक्सर बृहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस उंगली पर पीला नीलम, जिसे पुखराज भी कहा जाता है, या सिट्रीन जैसे रत्न पहनने से शुभ फल प्राप्त होते हैं. इसे पहनने से व्यक्ति की नेतृत्व क्षमता निखरती है साथ ही महत्वाकांक्षा और आध्यात्मिकता जैसे गुण भी बढ़ते हैं.
मध्यमा उंगली : मध्यमा उंगली शनि ग्रह से जुड़ी होती है. नीला नीलम को नीलम के रूप में भी जाना जाता है. अक्सर अनुशासन, फोकस और संतुलन जैसे गुणों को बेहतर करने के लिए नीलम को इस उंगली पर पहना जाता है. इसके अलावा, अशांत मन और स्वभाव में धैर्य लाने के लिए भी नीलम को इन उंगली में पहनना शुभ माना जाता है.
अनामिका : अनामिका को पारंपरिक रूप से सूर्य ग्रह से जोड़ा जाता है. इस उंगली में माणिक जैसे रत्न, जिसे माणिक भी कहा जाता है, उसे पहनना आम बात है. ऐसा माना जाता है कि मणिका को इस उंगली में पहनने से सुख-समृद्धि, जुनून और जीवन में सकारात्मकता आती है.