कैंसर का पता लगाने के लिए महिलाओं और पुरुषों को जरूर कराने चाहिए ये जरूरी टेस्ट
नई दिल्ली :- कैंसर बेहद खतरनाक बीमारी है. यह दुनिया भर में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2018 में अनुमानित 9.6 मिलियन मौतें या 6 में से 1 मौत इस बीमारी के कारण हुई. ये संख्याएं चिंताजनक है लेकिन, समय रहते पता लगने से इलाज के रिजल्ट और जीवित रहने की संभावना में अद्भुत बढ़ोतरी हो सकती है. पुरुषों और महिलाओं में कैंसर की पहचान करने के लिए ब्लड टेस्ट एक पावरफुल डिवाइस हैं, यहां तक कि लक्षण दिखाई देने से पहले भी इन टेस्ट से शरीर में कैंसर का पता लगाया जा सकता है.
यह टेस्ट संभावित घातक बीमारियों को पहचान करने के लिए खून में प्रोटीन, या डीएनए टुकड़ों जैसे बायोमार्कर का एनालिसिस करते हैं. खबर में ऐसे ब्लड टेस्ट के बारे में जानकारी दी गई है. जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में कैंसर का पता लगाने में मददगार होते हैं. जानिए क्या हैं ये टेस्ट…
कंप्लीट ब्लड काउंट
सीबीसी का इस्तेमाल कुछ प्रकार के खून या प्रतिरक्षा प्रणाली कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया और लिम्फोमा का पता लगाने के लिए किया जाता है. यह ब्लड टेस्ट में रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स की संख्या को मापता है. यह हीमोग्लोबिन की मात्रा, आपके खून का कितना हिस्सा रेड ब्लड सेल्स से बना है, आपकी रेड ब्लड सेल्स का आकार और प्रत्येक रेड ब्लड सेल्स में कितना हीमोग्लोबिन है, यह भी मापता है.
परिसंचारी ट्यूमर सेल परीक्षण
परिसंचारी ट्यूमर सेल टेस्ट एक प्रकार का लिक्विड बायोप्सी है जो कैंसर का पता लगा सकता है. यह टेस्ट ट्यूमर के टुकड़ों की पहचान कर सकता है जो टूटकर आपके ब्लड फ्लो में प्रवाहित होते हैं. यह टेस्ट अक्सर मेटास्टेटिक स्तन, प्रोस्टेट या कोलन कैंसर वाले लोगों में किया जाता है. खून में CTC की अधिक संख्या निगेटेविक रिजल्ट का संकेत देती है.
ब्लड केमिकल टेस्ट
ब्लड केमिकल टेस्ट अंगों और ऊतकों द्वारा खून में छोड़े गए कुछ पदार्थों के स्तर को देखता है. इन पदार्थों में मेटाबोलाइट्स, इलेक्ट्रोलाइट्स, फैट, शुगर और प्रोटीन, एंजाइम शामिल हैं. यह टेस्ट आपके अंगों, किडनी और लीवर सहित, के कामकाज के बारे में भी जानकारी प्रदान कर सकता है.
इम्यूनोफेनोटाइपिंग
इम्यूनोफेनोटाइपिंग एक ऐसा टेस्ट है जो कोशिकाओं में असामान्यताओं का पता लगा सकता है. यह टेस्ट खून या बोन मैरो के सैंपल से किया जाता है, ताकि पता लगाया जा सके कि घातक लिम्फोसाइट्स (कैंसर) बी लिम्फोसाइट्स या टी लिम्फोसाइट्स से शुरू हुआ है या नहीं. यह प्रोसेस कोशिका की सतह पर एंटीजन या मार्कर के प्रकार के आधार पर कोशिकाओं की पहचान करती है. इस परीक्षण का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली की सामान्य कोशिकाओं से कैंसर सेल्स की तुलना करके खास प्रकार के ल्यूकेमिया और लिम्फोमा का निदान करने के लिए किया जाता है.
लिक्विड बायोप्सी
लिक्विड बायोप्सी एक प्रकार का ब्लड टेस्ट है जो ट्यूमर सेल्स और कैंसर सेल डीएनए सहित कैंसरग्रस्त ट्यूमर के लक्षणों का पता लगा सकता है. यह टेस्ट खून का नमूना लेकर और ट्यूमर सेल्स से कैंसर सेल्स या डीएनए के टुकड़ों की तलाश करके किया जाता है जो कभी-कभी खून में निकल जाते हैं. यह टेस्ट शुरूआती अवस्था में कैंसर का पता लगाने में मदद कर सकता है.
ब्लड प्रोटीन टेस्ट
ब्लड प्रोटीन टेस्ट का इस्तेमाल खून में असामान्य प्रोटीन के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है. यदि टेस्ट में प्रोटीन का स्तर अधिक है, तो यह कुछ प्रकार के कैंसर, विशेष रूप से ल्यूकेमिया, लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा जैसे ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है. हालांकि, निदान की पुष्टि करने के लिए आगे की जांच की आवश्यकता हो सकती है.
ट्यूमर मार्कर ब्लड टेस्ट
ट्यूमर मार्कर ब्लड टेस्ट उन पदार्थों का पता लगा सकते हैं जो कैंसर सेल्स या शरीर की अन्य सेल्स द्वारा कैंसर के जवाब में उत्पादित होते हैं. खून में इन केमिकल्स का हाई लेवल कैंसर का संकेत हो सकता है. यह टेस्ट कैंसर का निदान, इलाज और ईलाज के परिणामों को मापने में भी मदद कर सकता है.