नई दिल्ली : प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए सबसे खूबसूरत पल होता है. प्रेगनेंसी में महिलाओं की बॉडी में कई हार्मोनल और फिजिकल बदलाव देखने को मिलते हैं लेकिन खराब लाइफस्टाइल के चलते प्रेगनेंसी में कई कॉम्प्लिकेशंस देखने को मिलती हैं. ऐसी ही एक अस्थायी और फॉल्स प्रेगनेंसी होती है. इसे ही एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहते हैं. असल में यह प्रेगनेंसी नहीं बल्कि मां के जान के लिए खतरा होता है. इसका इलाज सही समय पर न होने पर मां की जान जा सकती है.
महिला रोग विशेषज्ञ का कहना है कि जब प्रेगनेंसी गर्भाशय को छोड़कर कही और होती है तो इसे मेडिकल टर्म में एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy) कहा जाता है. इसमें ज्यादातर मामले फैलोपियन ट्यूब में होते हैं. फैलोपियन ट्यूब की साइज काफी छोटी होती है.
जब प्रेगनेंसी फैलोपियन ट्यूब में प्लांट होती है, तब फैलोपियन ट्यूब फटने का डर बना रहता है. जिससे ब्लीडिंग हो सकती है और मां की जान को खतरा भी. यही कारण है कि एक्टोपिक प्रेगनेंसी को गर्भपात कराना जरूरी होता है. कई मामलों में ये गर्भपात खुद ही हो जाता है लेकिन कई बार डॉक्टर की मदद लेनी पड़ती है. दुनिया में इसके 2% ही केस सामने आते हैं.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी का कारण क्या है
35 साल या उसके बाद प्रेगनेंसी प्लान करने से
पेल्विक या एब्डोमिनल एरिया की पहले सर्जरी हुई है तो एक्टोपिक प्रेगनेंसी का डर रहता है.
पेल्विक एरिया में सूजन
कई बार गर्भपात होने पर भी इसका खतरा रहता है.
धूम्रपान करने वाली महिलाओं में भी एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के क्या लक्षण होते हैं
एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण सामान्य प्रेगनेंसी से काफी ज्यादा मिलते-जुलते हैं. प्रेगनेंसी कंफर्म होने के एक बार अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए. इससे गर्भ की सही जगह का पता चल जाता है और सही समय पर इसका इलाज हो सकता है.
एक्टोपिक प्रेगनेंसी से कैसे बचें
सही उम्र में प्रेगनेंसी प्लान करें
प्रेगनेंसी से पहले जांच करवाएं और प्री प्रेगनेंसी काउंसलिंग लें.
प्रेगनेंसी से पहले और बाद में अच्छी डाइट रखें.
धूम्रपान से बचें.
बार-बार गर्भपात का सही वजन जानकर इलाज करवाएं.
कंसीव करने के बाद डॉक्टर से मिलकर सलाह जरूर लें.
गर्भनिरोधक गोलियां न खाएं.