रायपुर :- ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने श्रम संहिता वापसी सहित 17 सूत्रीय मांगों पर मजदूर किसानों की देशव्यापी हड़ताल 9 जुलाई को होगी. ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच के हड़ताल में करोड़ों मजदूर किसान शामिल होंगे. ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच में इंटक, एचएमएस, एटक, सीटू, एक्टू, एआईबीईए, सीजेडआईई, बीएसएनएलईयू, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ शामिल है.
क्यों हो रही है हड़ताल :संयुक्त मंच के छत्तीसगढ़ संयोजक धर्मराज महापात्र ने बताया कि 1886 में शिकागो शहर में 8 घंटे काम की मांग को लेकर मजदूरों का आंदोलन हुआ था. जिसमें मजदूरों पर पुलिस ने दमन किया. परिणाम स्वरुप कई मजदूर शहीद हो गये. तभी से हम उन शहीदो की याद में 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाते आ रहे हैं. परिणाम स्वरुप काम के घंटे आठ किए गए. इसी तरह हमारे पूर्वजों के संघर्ष कुर्बानी के बाद अंग्रेजी राज से लेकर आज तक हम 44 श्रम कानून हासिल किए थे. लेकिन आज की भाजपा की केंद्र सरकार इसे ही पलटने पर लगी हुई है.
धर्मराज महापात्र के मुताबिक सरकार ने यूनियन बनाना, पंजीकरण करवाना लगभग असंभव कर दिया. अगर यूनियन बन भी गई तो सरकार उसे कभी भी खत्म कर सकती है. धरना, प्रदर्शन और हड़ताल करने पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 111 के तहत जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. स्थाई रोजगार की जगह, बीजेपी सरकार निश्चित अवधि, प्रशिक्षु, आउटसोर्स, और हर काम का ठेकाकरण नया फरमान ले आई है. स्थाई नौकरी ना होने पर मजदूर अपने अधिकार के लिए लामबंद नहीं हो सकेंगे. ग्रेच्युटी एवं अन्य लाभों से वंचित हो जाएंगे. बिना नोटिस के मजदूरों को नौकरी से निकाला जा सकता है.
मजदूरों के हक में नहीं है कानून : कारखाने में 40 से कम मजदूर होने पर न्यूनतम वेतन, ई.पी.एफ समेत अन्य श्रम कानून लागू नहीं होंगे. महिलाओं को कारखानों में रात की पाली में भी काम में लगने की अनुमति होगी, जो पहले नहीं था. कारखानों में मजदूरों के लिए काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिए गए. भाजपा के मित्र उद्योगपति तो दिन में 15 घंटे काम की न केवल वकालत कर रहे हैं, बल्कि उसे औचित्यपूर्ण बताकर ऐसा प्रावधान की मांग उठा रहे हैं. जिसमें मजदूर अपनी पूरी देह गलाकर केवल उनके लिए मुनाफे पैदा करे यह उनकी सोच है. ई.पी.एफ. का अंशदान पहले 12% था, अब घटाकर 10% कर दिया जा रहा इससे मजदूरों को मासिक 4% का नुकसान होगा.
ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच की 17 सूत्रीय मांग
- श्रमिक विरोधी श्रम संहिता वापस लो.
- सभी श्रमिकों को 26000 न्यूनतम मजदूरी दो और हर पांच साल में न्यूनतम मूल्य सूचकांक के साथ संशोधन सुनिश्चित करो.
- सार्वजानिक क्षेत्र का निजीकरण, विनिवेशीकरण रद्द करो. ठेकाकरण, संविदाकरण, आउट्सोर्सिंग बंद करो.
- रिक्त पदों पर भर्ती प्रारम्भ करो, बेरोजगारों को बेरोजगारी का भत्ता दो
- भारतीय श्रम सम्मलेन जल्द आयोजित करो.
- सभी के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करो, ई पी एस के तहत 9000 रूपये न्यूनतम तथा जो किसी योजना में नहीं है. उन्हें 6000 रूपये मासिक पेंशन दो.
- रेल, सड़क परिवहन, कोयला, इस्पात, बंदरगाह, रक्षा, बैंक, बीमा, बिजली, पेट्रोलियम, डाक दूरसंचार के निजीकरण पर रोक लगाओ. एनएमपी योजना वापस लो. बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई बढ़ाने और समग्र बीमा कानून में संशोधन का प्रस्ताव वापस लो.
- ठेका मजदूरों सहित सभी मजदूरों, कर्मचारियों को सामान काम के लिए समान वेतन दो.
- 8 घंटे के कार्यदिवस पर सख्ती से अमल करो.
- आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, सहायिका, मितानिन, मध्यान्ह भोजन कर्मी, स्कूल सफाई कर्मी, गिग और अन्य प्लेटफार्म श्रमिक को भी श्रमिक का दर्जा दो और उन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ दो.
- मनरेगा में 200 दिनों का काम और मजदूरी में वृद्धि सुनिश्चित करो.
- शिक्षा का व्यापारीकरण और निजीकरण रोको.
- शहरी गरीबों को भी मनरेगा का लाभ दो.
- किसानों को सी 2 फार्मूला के तहत लागत के 50% प्रतिशत जोडकर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दो.
- कृषि उपज की खरीद की गारंटी दो, प्राकृतिक आपदा में उन्हें सहायता के लिए कोष का निर्माण करो.
- प्रवासी मजदूरों के लिए 1979 के कानून को पुनर्जीवित करो.
- योजना कर्मियों के लिए श्रम सम्मलेन की सिफारिश लागू कर न्यायालय के निर्देश अनुरूप उन्हें ग्रेच्यूटी भुगतान करो.
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