मध्यप्रदेश : ईवी क्रांति में मध्य प्रदेश का देवास भी अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार हो रहा है। मध्य प्रदेश के इस औद्योगिक शहर में झुनझुनवाला समूह ईवी में प्रयुक्त होने वाली लिथियम आयन बैटरी में लगने वाला एनोड तैयार करने का उद्योग शुरू कर रहा है। देवास जिले के सिरसौदा इंडस्ट्रियल बेल्ट में जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है।
बता दें कि झुनझुनवाला समूह ने चुनाव के पहले हुए निवेशक सम्मेलन में मध्य प्रदेश में 1850 करोड़ रुपये निवेश करने का करार किया था। देवास का यह प्लांट उसी के तहत स्थापित किया जा रहा है। इसके स्थापित होने से हजारों रोजगार तो सृजित होंगे ही, कई छोटे सहायक उद्योग भी विकसित होंगे। इससे देवास ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश को भी राजस्व सहित अन्य तमाम लाभ मिलेंगे।
सिरसौदा में औद्योगिक यूनिट
एचईजी लिमिटेड की सहायक कंपनी टीएसीसी सिरसौदा औद्योगिक क्षेत्र में यूनिट डाल रही है। यह ग्रेफाइट इलेक्ट्रोड निर्माता कंपनी है, जिसने देवास में 1850 करोड़ का निवेश किया है। इसका भूमिपूजन हो चुका है। पर्यावरण विभाग द्वारा दी जाने वाली महत्वपूर्ण अनुमति भी मिल चुकी है।
छोटे उद्योगों को भी होगा लाभ
जमीनी स्तर पर काम शुरू हो चुका है। करीब 100 एकड़ भूमि में फैली यह इकाई ऊर्जा भंडारण और गतिशीलता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 20 हजार मीट्रिक टन प्रति वर्ष एनोड सामग्री का निर्माण करेगी। इस इकाई के आने से इलेक्ट्रिक वाहनों से जुड़े छोटे उद्योगों को भी लाभ होगा और उनके विस्तार की संभावना बढ़ेगी।
ई-वाहनों में लिथियम आयन बैटरी लगती है। इसमें लगने वाले एनोड को विदेश से आयात करना पड़ता है। इसे लेकर अकेले चीन पर भारत की 90 प्रतिशत निर्भरता है। इस निर्भरता को कम करने में देवास में स्थापित हो रहा उद्योग सहायक होगा। एलएनजे भीलवाड़ा समूह के अध्यक्ष रवि झुनझुनवाला का कहना है कि समूह का यह नया उद्यम 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा को गति देने की दिशा में एक कदम है। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित है।
विदेशी आयात पर निर्भरता कम होगी
कंपनी के सीईओ अंकुर खेतान कहते हैं, यह संयंत्र लगभग 20 गीगावाट प्रतिघंटे की सेल विनिर्माण क्षमता के साथ काम करेगा। इससे लगभग एक हजार नए रोजगार पैदा होंगे। स्थानीय स्तर पर लिथियम-आयन बैटरी के घटकों के निर्माण से सेल उत्पादन की लागत कम हो जाएगी, जिससे देश की ईवी क्रांति को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी और विदेश से आयात पर निर्भरता कम होगी। देवास में कंपनी का काम देख रहे एलएन श्रीवास ने बताया कि काम शुरू हो चुका है। 2025 तक उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
बदलेगी क्षेत्र की सूरत
यह जानना जरूरी है कि 2007-08 में सिरसौदा औद्योगिक क्षेत्र बना था, लेकिन तब कोई निवेश नहीं हो सका। एक जिला एक उत्पाद के तहत कंपनियों को लाने के प्रयास किए, लेकिन तब भी सफलता नहीं मिली क्योंकि यहां पानी की किल्लत थी, फिर भी समूह ने इस स्थान को चुना। अब इस बड़े उद्योग के आने से यहां की समस्या हल होंगी।
पानी भी देवास से सप्लाय होगा, जिसके लिए अनुबंध हो चुका है। कंपनी अपने खर्च पर पाइपलाइन लगाएगी। एसोसिएशन आफ इंडस्ट्रीज देवास के अध्यक्ष अशोक खंडेलिया का कहना है कि सोनकच्छ में अब तक कोई इंडस्ट्रीज नहीं थी। इस निवेश से क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी। कई छोटे उद्योग विकसित होंगे। प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। भविष्य में इंडस्ट्रियल एरिया विकसित हो सकेगा।