रायपुर :- शिव भक्ति और धार्मिक उत्साह से जुड़ी शिव महापुराण कथा का आयोजन जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन अब मायूसी और नाराजगी का कारण बनता जा रहा है। आयोजन स्थल को लेकर दो से तीन बार परिवर्तन के बाद अब यह कथा 12 जुलाई से 18 जुलाई तक उरगा स्थित मीरा रिसोर्ट परिसर में आयोजित की जा रही है। आयोजन की जिम्मेदारी संभाल रही श्री महाकाल भक्त मंडल कोरबा की ओर से जारी नियमों के अनुसार प्रतिदिन केवल 300 श्रद्धालुओं को ही कथा स्थल में प्रवेश की अनुमति दी गई है। वहीं, अन्य श्रद्धालुओं को केवल ऑनलाइन माध्यम से कथा सुनने की सुविधा दी गई है। इस निर्णय से जिलेभर में श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है।
लोगों का कहना है कि कथा के लिए वे बीते कई माह से तैयारियों में जुटे थे, लेकिन अब सीमित संख्या में प्रवेश की जानकारी सामने आने से उन्हें ठगा हुआ महसूस हो रहा है। समितियां से मिली जानकारी में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब कोरबा जिले के घर-घर, दुकानों और व्यवसायिक संस्थानों से कथित रूप से लगभग 8 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा एकत्र किये जाने की जानकारी सामने आ रही है , तो फिर केवल 300 लोगों को ही कथा सुनने का मौका क्यों दिया जा रहा है? ये हम नही कह रहे है ये लोगों का कहना है।
क्या यह चंदा सिर्फ 300 लोगों की श्रद्धा का प्रतिनिधित्व करता है? श्रद्धालुओं का कहना है कि यह पूरी व्यवस्था एक वर्ग विशेष के हित में की जा रही है, जबकि आम श्रद्धालुओं को दरकिनार कर दिया गया है। उनके साथ धोखा किया गया है । न्यूज़ टीम ने जब आयोजन समिति के प्रमुख पदाधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया, तो फोन रिसीव नहीं किया गया। इससे पारदर्शिता को लेकर सवाल और गहरे हो गए हैं। अब जिले के श्रद्धालु यह सवाल उठा रहे हैं कि जब चंदा पूरे जिले से लिया गया तो लाभ भी सभी को मिलना चाहिए था । आखिर इतने पैसे का हिसाब कौन देगा। श्री महाकाल भक्त मंडल को सामने आकर जवाब देना चाहिए, ताकि आस्था के साथ कोई विश्वासघात न हो। क्या यह भी कमाई का जरिया बन गया है ।