नई दिल्ली:- मानसून का मौसम जहां एक ओर गर्मी से राहत लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर यह कई बीमारियों को भी न्योता देता है. इन्हीं में से एक आम और खतरनाक बीमारी है डायरिया (दस्त). बारिश के दौरान गंदगी, पानी का ठहराव और दूषित जल आपूर्ति की वजह से डायरिया के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं. खासकर बच्चों और बुजुर्गों में यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है. मानसून के समय वातावरण में नमी, जगह-जगह जलभराव और गंदगी के कारण बैक्टीरिया, वायरस तेजी से पनपते हैं। यही संक्रमण पानी और खाने के जरिए हमारे शरीर में पहुंच जाते हैं. अक्सर लोग बारिश का पानी भी भरकर रख लेते हैं और कई दिन तक वही इस्तेमाल करते हैं, जो डायरिया फैलने का बड़ा कारण है.
डायरिया एक पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जिसमें रोगी को दिन में तीन या उससे अधिक बार पतले या पानी जैसे दस्त होते हैं. ये शरीर में पानी और जरूरी मिनरल्स की भारी कमी (डिहाइड्रेशन) पैदा कर सकता है, जो जानलेवा भी हो सकता है. WHO के मुताबिक दस्त रोग 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है और हर साल लगभग 443,832 बच्चों की मृत्यु का कारण बनता है. दस्त कई दिनों तक रह सकता है और शरीर को जीवित रहने के लिए आवश्यक पानी और लवणों से वंचित कर सकता है.
डायरिया के प्रकार
एक्यूट वॉटर डायरिया: सबसे सामान्य, जिसमें 1–2 दिन दस्त चलते हैं और शरीर से पानी तेजी से निकलता है.
इंफ्लेमेटरी डायरिया: मल में खून या म्यूकस आता है, पेट में तेज दर्द और बुखार होता है.
क्रॉनिक डायरिया: यह दो हफ्तों से ज्यादा चलता है और पाचन तंत्र की किसी गंभीर बीमारी का संकेत होता है.
मानसून में ज़्यादातर मरीजों को एक्यूट डायरिया होता है, जिसका संबंध सीधे दूषित पानी और गंदे हाथों से होता है. WHO के मुताबिक दस्त से पैदा होने वाला सबसे गंभीर खतरा निर्जलीकरण है. दस्त के दौरान, पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम, क्लोराइड, पोटेशियम और बाइकार्बोनेट) तरल मल, उल्टी, पसीने, मूत्र और श्वास के माध्यम से नष्ट हो जाते हैं.
बरसात में कौन सी लापरवाही भारी पड़ती है?
Medical Physician Dr. Sonia कहती हैं ‘मानसून में नमी और जलभराव के कारण बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं. दूषित पानी, भोजन और गंदे हाथ सबसे बड़े कारण हैं. हमारे पास रोजाना 20 से ज्यादा मरीज सिर्फ इसी के आते है जिन्हें पेट दर्द, उल्टी की समस्या होती है.’
डायरिया को दिन में तीन या उससे अधिक ढीले या पानी जैसे मल के रूप में परिभाषित किया गया है. ये बताता है कि यह बीमारी दूषित भोजन, पीने के पानी और खराब स्वच्छता की वजह से फैलती है. डीडीयू अस्पताल शिमला के एमएस डॉक्टर लोकेंद्र बताते हैं कि ‘हमारे पास रोज़ कई मरीज सिर्फ दस्त, पेट दर्द और उल्टी की शिकायत लेकर आते हैं. कई बार बच्चों में हालत गंभीर हो जाती है. लोग कुछ गलतियां करते हैं जिससे डायरिया की चपेट में आ जाते हैं, जैसे बिना उबाले या फिल्टर किए पानी पीना, बारिश या खुले बोर का पानी पीना, बच्चों को गंदे हाथों से खिलाना या खेलने देना, पानी की बाल्टी/टंकी की समय-समय पर सफाई न करना.’
क्या कपड़े से छाना पानी पीना सेफ है?
गर्मियों में पानी की समस्या होने पर कुंओं, बावड़ी, पोखर के जल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये पानी ठहरा हुआ होता है और कई बार मटमैला भी होता है. इसे साफ करने के लिए लोग कपड़े से इसकी छनाई करते हैं, क्योंकि आज भी गांवों में अधिकांश घरों में आरओ और वाटर प्यूरिफायर उपलब्ध नहीं हैं. क्या कपड़े से छना हुआ पानी साफ होता है. इसे लेकर डॉ. सोनिया कहती हैं ‘कपड़ा सिर्फ मिट्टी या पत्तों जैसे मोटे कण हटाता है. बैक्टीरिया या वायरस इससे नहीं रुकते.अगर घर पर वाटर प्यूरिफायर नहीं है तो पानी को कम से कम 10 मिनट तक उबाले’
क्या फिल्टर पानी सुरक्षित है
कई लोग मानते हैं कि फ्रीज से निकला या फिल्टर किया गया पानी सुरक्षित है, लेकिन अगर पानी का स्रोत ही गंदा है, तो ये सोच गलत है. ठंडा या साफ दिखने वाला पानी भी खतरनाक हो सकता है.
डॉक्टर के पास कब जाएं
डॉ. लोकेंद्र बताते हैं कि ‘जब शरीर से ज्यादा पानी निकल जाए और वक्त पर इलाज न हो, तो डिहाइड्रेशन से चिंता ज्यादा हो जाती है. खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों को लेकर चिंता अदिक रहती है. अगर बच्चा सुस्त हो जाए, बार-बार उल्टी करे, पेशाब बंद हो जाए या आंखें धंसी दिखें तो तुरंत अस्पताल ले जाएं. इसके साथ ही किसी भी व्यक्ति को दस्त 24 घंटे से ज्यादा चलें, उल्टी और बुखार भी साथ हो और बच्चा पानी या दूध न पी रहा हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.’
बच्चों को कैसे बचाएं
सिर्फ उबला या RO/UV प्यूरिफाइड पानी दें.
बाहर के खाने से बचाएं.
दस्त के लक्षण दिखें तो तुरंत ORS और Zinc दें.
किसे कितना देना चाहिए ORS
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने बच्चों में तीव्र डायरिया के उपचार के लिए कुछ गाइडलाइन दी हैं. इसमें बताया गया है कि प्रत्येक दस्त के बाद निम्न मात्रा में ORS देना चाहिए. 2 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को 50–100 एमएल, 2 वर्ष एवं उससे बड़े बच्चों को 100–200 एमएल ओआरएस देना चाहिए. उल्टी आने पर 10 मिनट तक रुके और फिर से ओआरएस का घोल लें. साथ ही, घरेलू निरोगी पेय जैसे नमकीन चावल का पानी, नारियल पानी, दही का पानी आदि भी उपयोगी बताए गए हैं. ज़िंक की 10–20 मिलीग्राम की दैनिक खुराक लगभग 2 हफ़्ते तक दी जानी चाहिए जो दस्त की अवधि को कम करने और पुनरावृत्ति रोकने में सहायक होती है. साथ ही, घरेलू निरोगी पेय जैसे नमकीन चावल का पानी, नारियल पानी, दही का पानी आदि भी उपयोगी बताए गए हैं.ज़िंक की 10–20 मिलीग्राम की दैनिक खुराक लगभग 2 हफ़्ते तक दी जानी चाहिए, जो दस्त की अवधि को कम करने और पुनरावृत्ति रोकने में सहायक होती है.
इलाज के आसान घरेलू उपाय
पानी का घोल बनाएं
इसमें 1 लीटर पानी + 6 चम्मच चीनी + 1/2 चम्मच नमक.
नारियल पानी लें ये इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर होता है.
दही और छाछ भी ली जा सकती है.
हल्की खिचड़ी खाएं, क्योंकि यह आसानी से पचती है.
मानसून में डायरिया को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और ICMR दोनों का यह मानना है कि साफ-सुथरा पानी, हाथों की स्वच्छता, उचित भोजन भंडारण, ORS और ज़िंक सप्लीमेंट इस बीमारी को रोके रखने में अचूक उपाय हैं.