बिलासपुर।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा 2024 पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह आदेश जबलपुर निवासी लॉ ग्रेजुएट विनीता यादव की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया।
क्या है मामला?
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) ने 23 दिसंबर 2024 को सिविल जज परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें एक शर्त जोड़ी गई थी कि किसी भी विश्वविद्यालय से ला की डिग्री के साथ ही आवेदन करने वाले उम्मीदवारों का बार काउंसिल में नामांकन जरूरी है और वह वकील के तौर पर प्रैक्टिस भी कर रहे हो।
विनीता यादव का तर्क है कि उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर से कानून की डिग्री प्राप्त की है और वर्तमान में वे सरकारी सेवा में कार्यरत हैं। ऐसे में बार काउंसिल में नामांकन और वकालत करना उनके लिए संभव नहीं था। इस शर्त के चलते उन्हें परीक्षा में बैठने से वंचित किया गया है, जिसे उन्होंने संविधान के खिलाफ और अनुचित बताया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार
सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता ने उच्च न्यायालय को अवगत कराया कि इस विषय पर पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित है, और निर्णय की प्रतीक्षा की जा रही है। इसके मद्देनज़र मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने 18 मई 2025 को प्रस्तावित सिविल जज परीक्षा पर रोक लगा दी है।