भुवनागिरी:- तेलंगाना के भुवनागिरी शहर में स्थित एक निजी अस्पताल में अवैध लिंग परीक्षण और गर्भपात का सनसनीखेज मामला सामने आया है. यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब राचकोंडा SOT पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर अस्पताल पर छापा मारा.
पुलिस ने जानकारी दी कि रविवार रात 10 बजे गायत्री अस्पताल में दो महिलाओं का गर्भपात किया जा रहा था. जांच में पाया गया कि डॉ. हीरेकर शिवकुमार ने इन दोनों महिलाओं के भ्रूण का पहले ही गर्भपात कर दिया था. जांच के दौरान भ्रूण बरामद किए गए और उन्हें डीएनए परीक्षण के लिए भेजा गया है.
डॉक्टर को भेजा गया रिमांड में, पुराना मामला भी खुला
पुलिस निरीक्षक रमेश कुमार ने बताया कि आरोपी डॉ. शिवकुमार को स्थानीय अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. खास बात यह है कि डॉ. शिवकुमार पहले भी एक बालिका भ्रूण के गर्भपात के मामले में आरोपी रह चुके हैं.
लिंग परीक्षण लैब का भी हुआ भंडाफोड़
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि भ्रूण लिंग परीक्षण गायत्री अस्पताल के बगल में स्थित एसएलएन लैब में किया जा रहा था. इस अवैध कार्य में लैब मैनेजर, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. पांडुगौड़ और डॉ. शिवकुमार की पत्नी डॉ. गायत्री की भूमिका भी सामने आई है. सभी के खिलाफ केस दर्ज कर नोटिस जारी किए गए हैं.
गर्भपात कराने वाली महिलाएं भी गिरफ्तार
गर्भपात कराने वाली महिलाओं की पहचान हो गई है. एक महिला भुवनागिरी मंडल के वीरवल्ली गांव की है, जबकि दूसरी महिला तुर्कापल्ली मंडल के पेद्धथांडा गांव की रहने वाली है. दोनों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. पुलिस ने पुष्टि की कि दोनों महिलाओं के पहले से मादा संतान हैं.
PCPNDT टीम ने की जांच, अस्पताल मालिक की तलाश जारी
इस पूरे मामले की जांच के लिए PCPNDT कार्यक्रम अधिकारी डॉ. यशोदा के नेतृत्व में एक टीम ने अस्पताल और लैब की गहन जांच की. जांच में यह भी सामने आया कि अस्पताल का रजिस्ट्रेशन डॉ. राम्या और डॉ. अखिल के नाम पर है. अब पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही है कि इन दोनों की इस मामले में क्या भूमिका है.
कानून की अवहेलना और सामाजिक चिंता
भारत में PCPNDT अधिनियम के तहत भ्रूण लिंग परीक्षण और लिंग चयन आधारित गर्भपात को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है. यह न केवल कानूनन अपराध है, बल्कि नैतिक और सामाजिक रूप से अत्यंत गंभीर विषय भी है. ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि समाज में अब भी लिंग भेदभाव गहराई तक मौजूद है, और इसके खिलाफ लगातार कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है.