नई दिल्ली : रीढ़ की हड्डी जिसे स्पाइनल कॉर्ड के नाम से भी जाना जाता है। ये वो हड्डी है जिस पर हमारी पूरी बॉडी टिकी है। खराब पोश्चर, खेल कूद के दौरान, सीढ़ियों से गिरने से और किसी तरह की दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है। रीढ़ की हड्डी एक बेलनाकार संरचना है जो रीढ़ के केंद्र से होकर मस्तिष्क और पीठ के निचले हिस्से तक जाती है।
यह एक नाजुक संरचना है जिसमें नर्व और कोशिकाएं होती हैं जो मस्तिष्क से बॉडी के बाकी हिस्सों को संदेश पहुंचाती हैं। इस नर्व सिग्नल की मदद से ही हमारी बॉडी में सेंसेशन होता और हम बॉडी को मूव कर पाते हैं। स्पाइनल कॉर्ड में थोड़ी सी भी परेशानी होने पर न सिर्फ हमारा उठना-बैठना मुश्किल होता है बल्कि बॉडी के कई फंक्शन में भी बदलाव आता है। जिन लोगों को रीढ़ की हड्डी में चोट लगती है न सिर्फ वो शारीरिक तौर पर परेशान होते हैं बल्कि उनकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति भी बिगड़ जाती है।
मैक्स हॉस्पिटल पटपरगंज दिल्ली, में न्यूरोसर्जन डॉक्टर, डॉ. विक्रम सिंह ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से स्पाइनल कॉर्ड डैमेज हो सकती है और आप बिस्तर पर पहुंच सकते हैं। स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं। किसी को कार और बाइक दुर्घटना में चोट लगती है तो किसी को ऊंचाई से नीचे गिरने से चोट लगती है। स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने को अक्सर दिमाग से जोड़ा जाता है जो गलत है जो गलत है। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि स्पाइनल कॉर्ड में इंज्युरी क्या है और बॉडी में इस बीमारी के कौन-कौन से लक्षण दिखते हैं।
स्पाइनल कॉर्ड में इंज्युरी क्या है?
रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से मतलब है कि जब हमारी हड्डियां चटख जाती हैं या टूट जाती हैं तो वो अस्थिर हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में जब मरीज बैठने और उठने की कोशिश करता है तो ये हड्डी नस को दबाना शुरू करती है। जैसे जैसे हड्डी नस पर दबाव डालती है वैसे वैसे धीरे-धीरे नसों में करंट का बहना कम हो जाता है। ये नस जिस एरिया को सप्लाई करती है उस हिस्से में कमजोरी आने लगती है। आमतौर पर नस कमजोर होने का असर पैर पर दिखता है जिसकी वजह से पैर में कमजोरी आने लगती है।
रीढ़ की हड्डी में चोट के लक्षण
हाथ और पैर में कमजोरी आना। मरीज इन हिस्सों की ताकत खोने लगता है।
मरीज यूरिन और मल डिस्चार्ज करने पर कंट्रोल नहीं कर पाता। उसे पता नहीं लगता और वो कहीं भी कभी भी मल डिस्चार्ज कर सकता है।
मरीज बैड रिडन भी हो सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
कहीं भी चोट लगने पर तुरंत जांच कराएं। हाथ-पैर में कमजोरी आ गई है या हाथ-पैर ने काम करना बंद कर दिया है तो इसे दिमागी परेशानी नहीं समझें बल्कि तुरंत स्पाइनल कॉर्ड की भी जांच कराएं।
मरीज की MRI कराएं ताकि बीमारी का पता चल सके।
रीढ़ की हड्डी को कैसे हेल्दी रखें
क्लीवलैंड क्लिनिक के एक नोट के मुताबिक रीढ़ की हड्डी को हेल्दी रखने के लिए आप डाइट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, हेल्दी फैट और कम वसा वाली प्रोटीन युक्त डाइट का सेवन करें।
एरोबिक एक्सरसाइज करें। हड्डियों की मजबूती और स्ट्रेचिंग के कॉम्बिनेशन से लगातार एक्सरसाइज करें।
नींद का ध्यान रखें। बैठते या खड़े होते समय झुकने से बचें।
धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचें।
सोते समय ठीक पॉश्चर में सोएं। गर्दन और पीठ के निचले हिस्से के पॉश्चर का ध्यान रखें।
दिनभर में अक्सर टहलें और बीच-बीच में ब्रेक लें।