जयपुर:- हाल ही में एक ऐसा रेयर डिजीज का मामला सामने आया जिसके रोगी विश्व में गिने चुने हैं. दरअसल एक 17 वर्षीय किशोरी करीब 14 साल से एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थी, लेकिन 14 साल तक कोई भी अस्पताल और चिकित्सक उसकी बीमारी को नहीं पकड़ पाया. इस किशोरी को ओवेरी (अंडाशय) में गांठ थी जिसे कैंसर मानकर इलाज किया जा रहा था. हालांकि चिकित्सक जिसे कैंसर मान रहे थे, वह एक दुर्लभ बीमारी निकली. जेके लोन अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स के इंचार्ज और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियांशु माथुर का कहना है कि इस 17 वर्षीय किशोरी के परिजनों ने इससे पहले कई अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन फायदा नहीं मिला. जब मरीज रैफर होकर जेके लोन अस्पताल पहुंची, तो उसमें एक रेयर बीमारी का पता चला जिसका नाम ‘वानविक ग्रुनबैक’ है.
3 साल की उम्र में मासिक धर्म हुआ शुरू:
डॉ प्रियांशु माथुर ने बताया कि भरतपुर की रहने वाली 17 वर्षीय किशोरी लंबे समय से एक दुर्लभ बीमारी से जूझ रही थी. जब किशोरी की उम्र 3 वर्ष थी, तब उसे मासिक धर्म शुरू हो गया. यह काफी चौंकाने वाला था. इसके बाद परिजन किशोरी का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में कराते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला. करीब 8 साल पहले जब मरीज की सोनोग्राफी और सीटी स्कैन किया गया, तो पता चला कि उसके ओवेरी के एक हिस्से में गांठ है. उस गांठ को कैंसर मानकर इलाज किया गया और ओवेरी का एक हिस्सा निकाल दिया गया. इससे पहले बीमारी के कारण किशोरी का शारीरिक विकास भी पूरी तरीके से रुक गया था.
थायराइड की कमी:
डॉ माथुर ने बताया कि मरीज 17 वर्ष की हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी शारीरिक विकास रुका हुआ था. जब परिजन मरीज को लेकर इलाज के लिए एसएमएस अस्पताल पहुंचे, तो जांच में पता चला कि अंडाशय के दूसरे हिस्से में भी एक गांठ है. एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने उसे जेके लोन रैफर कर दिया और मरीज को डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स में इलाज के लिए लाया गया. अस्पताल में जब मरीज की जांच की गई, तो पता लगा कि मरीज में थायराइड बन ही नहीं रहा. इससे पहले जिन अस्पतालों में मरीज का इलाज किया गया, वहां कभी थायराइड टेस्ट ही नहीं करवाया गया. थायराइड की कमी के कारण शरीर में अन्य परेशानियां होने लगी जिसके कारण शारीरिक विकास पूरी तरीके से रुक गया. जब पूर्ण रूप से जांच की गई, तो मरीज में दुर्लभ बीमारी वानविक ग्रुनबैक का पता चला.