दुर्ग:- शिवनाथ नदी दुर्ग जिले की जीवनदायिनी नदी कही जाती है, हालांकि जब यह उफान पर हो तो आस पास के गांवों जनजीवन प्रभावित भी करती है. जिले के 2 दर्जन से ज़्यादा गांव जलमग्न हो जाते हैं, लगातार बारिश और डैम से छोड़े गए पानी के कारण हालात बेकाबू हो जाते हैं. एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें लगातार रेस्क्यू में जुट जाती है, लेकिन फिर अगली बरसात में वही हालात होते हैं. इस बार भी एसडीआरएफ ने मॉक ड्रिल कर ली है. प्रशासन का कहना है कि हम तैयार हैं.
ये गांव होते हैं प्रभावित: सिर्फ सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही जिले में शिवनाथ नदी के आसपास 12 से ज्यादा गांव बाढ़ प्रभावित हैं. ये कहना तो खुद कलेक्टर का है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि करीब 20 गांव और उसके कितने ग्रामीण नदी का जलस्तर बढ़ने पर प्रभावित होते होंगे. चंगोरी, अछोटी, आलबरस, पुलगांव जैसे कुछ गांव तो अति प्रभावित हैं.
स्थानीय लोगों का क्या कहना है?: चंगोरी के ग्रामीण भारत देशमुख ने कहा कि जब बाढ़ आती है ना,तो पूरा गांव समंदर बन जाता है. दस-बारह फीट पानी भर जाता है,आवाज़ तक सुनाई नहीं देती, 1994 में तो इतना पानी आया कि हम लोग छत पर चढ़ गए थे.हेलीकॉप्टर से खाना गिराया गया था.आज भी वही हाल है, सरकार आती है,फोटो खिंचती है और फिर भूल जाती है.
कमाई का जरिया रुक जाता है: पुलगांव नाले के पास रहने वाले हैं लोगों ने कहा कि हम रिपेयरिंग का काम करते हैं, तीन महीने दुकान बंद रहती है. उधार लेकर बच्चों को पालते हैं,पिछले साल तो हम खुद नाव लेकर लोगों को बचाने निकले थे.
अधिकारियों का क्या कहना है: कलेक्टर के मुताबिक 12 से ज्यादा गांव बाढ़ प्रभावित हैं. एसडीआरएफ ने मॉक ड्रिल कर ली है और जिला प्रशासन को भी निर्देश दिए गए हैं. हम पूरी तरह तैयार हैं.