कोरबा:- स्व. बिसाहूदास महंत स्मृति मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में एक बेहद जटिल सर्जरी के बाद 13 साल की बच्ची को जीवनदान मिला है. मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार यह सर्जरी यदि समय पर पूरी नहीं की जाती, तो बच्ची का जीवन संकट में था. बच्ची जिले के चस्तना क्षेत्र की निवासी है. जिसे रायपुर के मेकाहारा अस्पताल द्वारा हायर सेंटर जाने की सलाह दी गयी थी. इस बीच बच्ची के परिजनों ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा के चिकित्सकों से संपर्क किया.
रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर वेजाइनल सेप्टम का इलाज:
परिजनों के कहने पर चिकित्सको ने बीमारी का पता लगाया और पाया कि बच्ची को रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर ट्रांसवर्स वैजाइनल सेप्टम की समस्या है. जिनका रिस्की और ऑपरेशन बेहद जटिलता से पूर्ण किया जाता है. अस्पताल में दो तीन गाइनेकोलॉजिस्ट, एनेस्थीसिया और सर्जन की टीम बनाकर दो घंटे का जटिल ऑपरेशन की किया गया. जिसके बाद अब बच्ची की हालत पूरी तरह से स्वस्थ है. आगे का जीवन वह सामान्य लोगों की तरह बिता सकेगी.
स्त्री एवं प्रसूति विभाग के विभाग:
मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में स्त्री एवं प्रसूति विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य सिसोदिया ने बताया कि ट्रांसवर्स वेजाइनल सेप्टम (अनुप्रस्थ प्रजनन नलिका) में ऊतक की एक क्षैतिज दीवार होती है. यह तब होता है, जब प्रजनन नलिका बनाने वाले भ्रूण के ऊतकों का ठीक से विलय नहीं हो पाता है, जिससे प्रजनन नलिका का एक हिस्सा या पूरा अवरुद्ध हो जाता है. सेप्टम मासिक धर्म के खून के प्रवाह को रोक सकता है, जिससे पेट दर्द और मासिक धर्म में रुकावट हो सकती है.
अल्ट्रासोनिक गाइडेड ऑपरेशन किया:
सर्जरी करने वाले डॉक्टर आदित्य सिसोदिया ने बताया कि मौजूदा मामले में भी 13 साल की बच्ची का एक बार भी मासिक धर्म आया ही नहीं था. उसे पेट में दर्द रहता था और सबसे बड़ी समस्या यह थी की बीमारी डायग्नोज नहीं हो पा रही थी. रायपुर से भी उसे बीमारी डायग्नोज नहीं होने के कारण हायर सेंटर में जाने को कहा गया था. हमने इसके लिए अल्ट्रासोनिक गाइडेड ऑपरेशन किया. यूएसजी मशीन को ऑपरेशन थिएटर मंगवाया. ब्लड सैंपल से कंफर्म हुआ कि यह ट्रांसवर्स वेजाइनल सेप्टम वाली परेशानी है. इसका ऑपरेशन बेहद जटिल होता है. मैंने अपने पूरे 12-13 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा. यह रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर मामला था. जिसके लिए हमने चिकित्सकों की टीम बनाई. जिसमें मेरे अलावा डॉ निकिता श्रीवास्तव, डॉ अमरउतीन और एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ डीएस पटेल शामिल थे. इस टीम ने बच्ची के 2 घंटे का जटिल ऑपरेशन किया. डॉक्टर आदित्य सिसोदिया ने बताया कि यह मेडिकल कॉलेज है, इतने सारे चिकित्सक यहां मौजूद हैं. इस वजह से ऑपरेशन संभव हो सका. निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन संभव भी नहीं था. अब वह बच्ची अपना पूरा जीवन बेहतर और सामान्य तरीके से बिता सकती है.
1 लीटर खून किया गया रिलीज:
सामान्य तौर पर निचले अस्पतालों से मामले हायर सेंटर में भेजे जाते हैं. लेकिन यह मामला ऐसा था, जो हायर सेंटर से लोअर सेंटर पहुंचा था. बच्ची के ऑपरेशन के दौरान यह समस्या थी की उसकी हालत ठीक ठाक रहे. यह ऑपरेशन बेहद जटिल प्रकार का ऑपरेशन होता है. चिकित्सकों ने इसे रेयरेस्ट ऑफ़ द रेयर कैटेगरी का बताया था. सोनोग्राफी और सिटी स्कैन के दौरान बच्ची के पेट में मांस का लोथड़ा होने की जानकारी सामने आई थी. लेकिन जब मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोरबा में चिकित्सकों ने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, तब पता चला की बच्ची के पेट में खून जमा हुआ है. ऑपरेशन के दौरान बच्ची के शरीर से 1 लीटर अतिरिक्त खून रिलीज किया गया. जो एक साल से जमा हुआ था. इसके बाद ही सफलतापूर्वक ऑपरेशन संपन्न हो सका.