शासकीय स्कूलों में पहुंची नए सत्र की किताबें, लेकिन अब तक नहीं छापीं इंग्लिश मीडियम की बुक्स, क्या है इस भेदभाव की वजह
रायपुर :- छत्तीसगढ़ में नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू होने वाला है, लेकिन प्रदेश के निजी स्कूलों को अब भी पाठ्यपुस्तकों का इंतजार है। जहां एक ओर शासकीय विद्यालयों में हिंदी माध्यम की किताबों का वितरण प्रारंभ हो चुका है, वहीं दूसरी ओर अधिकतर इंग्लिश मीडियम में संचालित निजी स्कूलों को अब तक किताबें नहीं मिल पाई हैं। इसकी मुख्य वजह है- इंग्लिश मीडियम की किताबों का अब तक न छपना।
पाठ्यपुस्तक निगम ने नहीं छपवाई इंग्लिश मीडियम की किताबें
छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम (पापुनि) द्वारा राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अध्ययनरत छात्रों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जाती हैं। लेकिन इस बार इंग्लिश मीडियम की किताबों की छपाई में देरी हो गई है। इसके चलते निजी स्कूलों को अब तक यह तक नहीं बताया गया है कि किताबें कब तक पहुंचाई जाएंगी। शैक्षणिक सत्र शुरू होने में अब केवल 6 दिन शेष हैं, लेकिन वितरण की तारीख तक घोषित नहीं हो सकी है।
पाठ्यक्रम में बदलाव से और बढ़ी मुश्किल
इस बार पहली, दूसरी, तीसरी और छठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ है, जिस कारण पुरानी किताबें पढ़ाना स्कूलों के लिए विकल्प नहीं है। निजी विद्यालय संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि समय पर अगर किताबें नहीं मिलीं, तो उन्हें मजबूरन प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें मंगाकर पढ़ाई शुरू करनी होगी। इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है, और साथ ही पाठ्यक्रम की एकरूपता भी प्रभावित होगी।
तीन महीने की देरी से बिगड़ा शेड्यूल
दरअसल, पिछले सत्र में थोक में किताबें कबाड़ में पाए जाने की घटना के बाद किताबों के वितरण और संख्या निर्धारण को लेकर शासन स्तर पर जांच शुरू की गई थी। जांच रिपोर्ट आने, बारकोड आधारित वितरण व्यवस्था लागू करने और नई किताबों की संख्या तय करने में समय लग गया। परिणामस्वरूप किताबें सामान्यतः दिसंबर-जनवरी में छपने के लिए जाती थीं, लेकिन इस बार यह प्रक्रिया तीन महीने की देरी से शुरू हो सकी।
हिंदी माध्यम को प्राथमिकता, इसके बाद इंग्लिश मीडियम
पाठ्यपुस्तक निगम ने पहले शासकीय स्कूलों के लिए हिंदी माध्यम की किताबों को प्राथमिकता दी। हिंदी माध्यम की किताबें अब स्कूलों तक पहुंच चुकी हैं। लेकिन इंग्लिश मीडियम की किताबों की छपाई का कार्य अब शुरू किया गया है, जिसके चलते निजी स्कूलों को अगले कुछ हफ्तों तक इंतजार करना पड़ सकता है।