गोवर्धन पूजा. का पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही 56 तरह के भोग अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि उपासना करने से साधक को जीवन के समस्त दुख और संताप से मुक्ति मिलती है।
गोवर्धन पूजा के दिन गांव वाले अपने घर के गौशाला में गोबर से गोवर्धन भगवान का निर्माण किया करते है। गाय के बछड़े से इसे पूजा करा कर खिचड़ी का भोग लगाकर गाय को खिचड़ी खिलाकर प्रसाद स्वरूप पूरे घर में उसे खाया जाता है। छत्तीसगढ़ीयों द्वारा इस दिन सब्जी में सारे सब्जीयो जैसे – जिमीकंद, मूली, भाटा, करेला, मूनमा, कुम्हड़ा सारे सब्जियों को मिलाकर 56 स्वरुप सब्जी बनाकर प्रसाद खिलाया जाता है। इसी दिन ग्रामवासियों द्वारा सुबह गौरा – गौरी मूर्ति पूजाकर गांव में मूर्ति घुमाया जाता है तथा श्रध्दापूर्वक विसर्जन किया जाता हैं।
लोगों से प्रेमपूर्व होता है मिलन
गोवर्धन पूजा के शाम में गोठान में गोवर्धन पूजा हेतु गोबर से गोवर्धन बनाया जाता हैं। यादव (राउत), समाज द्वारा दोपहर में घरों- घर जाकर सोहई गीत गाते हुए धान कोठी में सोई बाधा जाता हैं। शाम में यादव (राउत) समुदाय द्वारा गाना गाकर गाव वालो को आमंत्रित किया जाता है। लोग राउत नाचा, गाना – बाजा के साथ गौठान जाकर गोवर्धन पूजा कर उसी देवता को उठाकर घरों घर जाकर परिवार, मित्र सब एक-इसरे में गोबर का टिका लगाकर दिवाली व सुख समृद्धि की बधाई व सुभकामनाएं देते हैं। गांवो में गाने, फटाके, आतिशबाजी के साथ दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।