दंतेवाड़ा : नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में अब महिलाओं के हाथों में सिटी बसों की कमान होंगी। जीं हा नक्सल प्रभावित जिन 5 रूटों पर निजी बस आपरेटर ने बस चलाने से इंकार कर दिया था, अब उस रूट पर आम लोगों की सहूलियत के लिए महिलाओं ने बस चलाने की जिम्मेदारी उठायी है। आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महिलाओं के इस हौसले को प्रोत्साहित किया और महिला समूह की सदस्यों को 2 बसों की चाबी सौंपीकर उन्हे शुभकामनांए दी।
गौरतलब है कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद लगातार विकास कार्यो के साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में विशेष पहल किये जा रहे है। नक्सल प्रभावित बस्तर में सरकार शिक्षा,स्वास्थय और मूलभूत सुविधाओं के साथ ही महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिला में महिलाओं ने बड़ा फैसला लिया है। जीं हां अब तक आपने सिटी बसों में महिलाओं को कंडेक्टरी करते जरूर देखा होगा, लेकिन दंतेवाड़ा जिले में अब महिलांए सिटी बस खुद चलायेंगी।
जिले के नक्सल प्रभावित जिन 5 रूटों पर निजी बस आपरेटर बस चलाने से कतराते आये है। महिलांओं ने इन्ही 5 रूटों में सिटी बस चलाने की जिम्मेदारी उठायी है। महिला समूह की सदस्यों के उत्साह और आत्मविश्वास को देख आज दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने खुशी जाहिर की। मुख्यमंत्री ने दंतेवाड़ा जिले में आयोजित कार्यक्रम के दौरान ही महिलाओं के इस फैसले का स्वागत किया। मुख्यमंत्री ने मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के बाद 2 अलग-अलग गांवों की महिला स्व.सहायता समूहों को 2 बसें दी हैं। जल्द ही 3 और बसें भी दी महिला समूहों को सौंपी जाएंगी।
बस्तर में यह पहली बार होगा, जब कोई महिला समूह बस चलायेगी। आपको बता दे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के हाथों दंतेवाड़ा के गोंगपाल और इंद्रावती नदी के दूसरी तरफ बसे चेरपाल पंचायत की महिलाओं को बस दी गई है। नक्सल प्रभावित दोनों ही गांव बेहद संवेदनशील हैं। यहां अक्सर नक्सलियों की मौजूदगी रहती है। जिसके कारण निजी बस आपरेटर्स इन क्षेत्रों में बस चलाने से अक्सर बचते है। ऐसे में महिलाओं ने ग्रामीणों को सुविधा देने का बीड़ा उठाया। वहीं शासन-प्रशासन ने भी नक्सल प्रभावित इलाकों की महिलाओं को रोजगार देने के उद्देश्य से उन्हें सिटी बसों की कमान सौंपकर एक बड़ी जिम्मेदारी दी है।