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गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं और दस दिनों तक उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के उपरांत गणेशोत्सव की तैयारियां देश भर में जोरों पर हैं। भादो माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है, जब भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है और महाराष्ट्र में यह पर्व विशाल स्तर पर मनाया जाता है।
घर-घर में गणेशजी की प्रतिमा की पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना कर दस दिन तक उनकी पूजा करते हैं। साथ ही, सार्वजनिक स्थानों पर भी गणेश प्रतिमा की स्थापना होती है और गणेश उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। कई स्थानों पर यह उत्सव तीन दिनों तक भी चल सकता है। अंतिम दिन गणेश प्रतिमा को नदी या कुंड में विसर्जित कर दिया जाता है।
सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा की शुरुआत स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक द्वारा की गई थी। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारतीय एकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप से मनाने की शुरुआत की, और यह परंपरा आज भी कायम है।